प्रकाशित सिर्फ हम दियो को करते हैं और इन दियो की वजह से पूरा संसार प्रकाशित होता है।
इसलिए जीवन में हमेशा आप खुद को प्रकाशित रखें।
ताकि आपकी वजह से एक दिन पूरा संसार प्रकाशित हो सके।
😊😊-
चलिए, आज एक जाबाज़ को सुना जाए।
उनका तारूफ, चराग बताया जाए।
इक चिंगारी, गेहरे अंधेरे को चीर ले जाए।
इस जहां को, ओझल होने से बचाए।
ये एक अकेला, ऐसी गुस्ताख़ी कर जाए
भीड़ से अलग, खड़े रहने का हुनर सीखा जाए।
रौशन करने की खूबी, जेहेन में बसाए।
ख़ुद को और आेरों, दोनों को झिलमिला जाए।
हाज़िर-नाज़ीर, जिनके पास रहे उन्हें मान जाए।
कभी इबादत कभी खुशनुमा, किसी की शाम बना जाए।
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Diwali symbolizes going in to light from the darkness.
People are very much fond of this festival.
The diyas get light of lamps in Diwali,
And a hope of happiness is showered upon all.
Many many wishes of Diwali to you and your entire family in this festival.
I Wish You A Happy Diwali...!!!
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जब हम देहरी पे एक दिया जलाने निकले,
चाँद की चाँदनी में सूरज की तपिश मिटाने निकले,
टिमटिमाते तारों की रोशनी से एक पल नहाने निकले,
नकारात्मक तंतुओं पे विजय पाने निकले,
एकजुटता का प्रमाण दिलाने निकले,
हाँ हम रोशनी बुझा रोशनी ही आज़माने निकले,
देशहित में एक अदना सा हाथ बढ़ाने निकले,
बात नियत की है दीपक की नहीं ये बताने निकले,
जब हम देहरी पे एक दिया जलाने निकले!-
सुनो...
आज जब दिये जलाना, तब एक दिया
मज़हब वाली दीवार पर भी रख देना!-
अंधकार में प्रकाश को खोजने की आवश्यकता नहीं, हिम्मत करके दीया जलाने की आवश्यकता है।
जिन्होंने यह हिम्मत की, उन्होंने अंधकार में भी रोशनी फैला दी।
दुनिया को जीवन की राह दिखाई,
वह दीपक है नानक, महावीर, बुद्ध, कबीर, जीसस,मोहम्मद और मेरे साईं।
समृद्धि का है यह कहना, साईं अपने आशीर्वाद प्रेम का दीया मेरे जीवन में सदा जलाए रखना,
प्रकाशित हो सबका जीवन सदा, ऐसी कृपा बनाए रखना।-
उसके लिए मैंने खो दिया है स्वयं को भी
उसका ह्रदय मेरे छोटे-छोटे खुशियो का संग्रहालय हैं ।
अपनी हर छोटी-बड़ी बाते
उससे ऎसे कह देता हूँ जैसे-
खुद के कर्मो को लेकर
आत्मा और मस्तिष्क आपस मे संवाद
कर रहे हो ।
उससे कहना चाहता हूँ
इन आँखों मे उसको देखकर पूर्ण हो जाता हूँ मैं
जितना प्रभु श्रीराम को देख माँ जानकी ।
उससे कहना चाहता हूँ
आधी रात किसी वीरान जंगल में
उसका साथी बनके उसके राह में दीये की तरह जलना चाहता हूँ ।
उससे कहना चाहता हूँ
मेरी जान देखना एक दिन
इस दीये की तलाश में तुम भी
पतंगा बनके मडराओगी दीये के इर्द-गिर्द ।
हाँ मुझे कहना है
तुमसे ये सब इसलिए
प्रेम करती हो दीये से तो बाती बनो ।
पतंगा बन न गवाओ ज़िन्दगी यू ही
क्योकि सुना है दीया हर शाम उसी देहरी पे जलता हैं
और मरने आते है हर रोज नये पतंगे यू ही।-
धुंधला धुंधला दिल्ली को !
पटाखों से मत करना!!
पटाखें जलाकर दिल्ली को !
दूषित ना करना!!-
छोटी सी दिवाली है,
हम सबको दीप जलाना है,
हिम्मत नहीं टूटेगी यह सब को बताना है।-
सब बातियाँ फ़ना हो गयी जल-जल कर
लोग समझे 'इक दिया रात भर लड़ता रहा'
-सुप्रिया मिश्रा-