छुप जायेगा आफ़ताब, रात के चादर में.
क़ैद कर लो रौशनी को, जरा सी धूप बाकी है.
-
धूप रंग हर राग का, धूप नहर की नाप
धूप चपलता चित्त की, धूप ढोल की थाप
धूप पोटली इत्र की, धूप नार श्रृंगार
धूप खिले तो जग चले, नदिया जंगल पार
-
सुकून की बात क्या करे यहाँ तकलीफ ख़्वाहिशों से है ,
कल तक थे धूप से परेशां आज तकलीफ बारिशों से है !!
-
Us kri dhup mai chhat pr sukhte tere kapre unki khusbhu se pehchan jati thi..
waise to koe khash powder ya perfume ka estemaal nhi hota tha un kapro mai,
pr phir bhi unki khusbhu alag thi....
ye whi khusbhu thi jo tere mere karib hone pr mehsus hoti thi.......-
जिन रास्तों से मैंने...
सफलता की बात सुनी है...
उन राहों पर अक्सर...
मैंने धूप कड़ी देखी है...
-
लगता है होके मलंग 😊आज तूने 👩बहोत
दिनों बाद पतंग उड़ाया🚀 हैं
पर ना जाने🙄 क्यों तुझे👩 ये काला चश्मा 🕶
भाया है 😍जो छांव मे भी इसे लगाया है
ना जाने क्यों तूने कत्ल🤩 करतीं इन
आँखों प़र पर्दा लाया है
नशीला 😍सा हों जाता था मैं👦 तेरी👧 इन आँखों के साये में
पर ना जाने क्यों तूने 👧शराब🍾 में पानी🧊 मिलाया है.-
जरा सी धूप बाकी है आंखों में तभी तक शर्म बांकी है।
निकलते चांद के हम तुम पियेंगे बस ये प्रेम के प्याले।
लगाकर आंख में काजल बस अंधेरा तुम बनोगी जब।
खोकर एक दूसरे में हम चलो अपनी हस्ती मिटा ड़ालें
झांककर मस्त आंखों में जवां कर ख्वाब की दुनियाँ।
चलो जम़ी से आसमां की आज हम ये दूरी मिटा ड़ालें।
मिटाकर ये दूरियाँ दिल की क़रीबी रिश्ता बनायें हम।
चलो एक दूसरे के दिल में अपना आशियां बना डालें।
बड़ी मुश्किल से जीवन में खुशियों की शाम आती है।
हर इक आज ये लम्हा चलों ह़सी महफ़िल बना डालें।
जरा सी धूप बांकी है आंखों में तभी तक शर्म बांकी है
निकलते चांद के हम तुम पियेंगे बस ये प्रेम के प्याले।
प्रधुम्न प्रकाश शुक्ला-