उनको थी इतनी फुर्सत कहांँ...
जो पढ़ती मेरे दिल की किताब...
प्यार तो बस एक ढोंग था...
दिल्लगी करना था उन्हें जनाब...-
धड़कनें दफन कर मेरी...
दिल में दीवार खड़ी कर दी...
मोहब्बत का ढ़ोंग कर उसने...
जिंदगी बर्बाद मेरी कर दी...-
हम बुरे हैं हमें बुरा ही रहने दें
अच्छाई का ढोंग रचना हमारी फ़ितरत नहीं...-
Jiske liye mohobbat sirf alfaaz tha
Wahi mohobbat ke dhaung racha karte thee-
होती भूख जिस्मों की , तो मोहब्बत का ढोंग तुम से भी कर लेता.....
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मंदिर - मस्जिद की बात करें
चंदा दें फिर अपना नाम करें
ज़रा टूटे घरों पर नज़र करें-
सब को पता है की गुनहगार कौन
इस त्रासदी का ज़िम्मेदार कौन
देश का असली वफ़ादार कौन
इस मुश्किल घड़ी में चौकिदार कौन
फिर क्यों रोज़ तुम टीवी पर आते हो
आपदा प्रबन्धन को कोने में रख
क्यों जनता को गुमराह कर जाते हो
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मोहब्बत के मायने बदलने लगे है ज़माने में...
कोई दो पल में ज़िन्दगी का तार छेड़ जाता है,
तो कोई उम्र भर का साथ माँग ढोंग रच जाता है...!!-
सहानुभूति का कटोरा पकड़े
तुम सच में गरीब लगते हो
मासूमियत का चोला पहनने वाले,
तुम कितने में बिकते हो?
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सुनो ये जो तुम ,जिस्मानी मोहब्बत के नाम पर,
मोहब्बत का ढोंग करते हो,
सच्चा इश्क़ है सिर्फ तुमसे कहकर हर रोज़,
तुम ना जाने किस किस पर मरते हो,
अकेले में बैठ तुम कहते हो , तुम सिर्फ मेरे हो सनम,
अरे जान फिर क्यूँ भरी महफ़िल में बैठ,
तुम यही बात मानने से इनकार करते हो,
सच्ची मोहब्बत नही है , तो ना सही,
फिर क्यूँ ये मोहब्बत के नाम पर तुम जिस्मों का व्यापार करते हो..!!-