Syed Abdul Kadir   (सैय्यद अब्दुल क़ादिर)
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| Mariner || Writter || Poet |
Social Activist
Socialist Ideology
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Joined 31 July 2019


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23 AUG 2021 AT 21:05


तेरी खुशियों के लिए हाँ में हाँ मिलाना भी तो सीख लिया मैंने
अब तू क्या चाहती है बिन जुबान कटे ही गूंगा हो जाऊँ

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17 JUL 2021 AT 18:50

मेरा आशिक़ बड़ा माहिर क़ातिल था
जिस्म जिन्दा रखा और रूह निकाल ली

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15 JUL 2021 AT 23:24

अब तो अपने हांथो से भी चीड़ होने लगी है मुझे
खुशियों की चंद लक़ीरें भी इन्हे नसीब न थी !!

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13 JUL 2021 AT 9:24

मुहब्बत का उसूल रहा है इश्क़ की बयानबाज़ी
तेरा पुर-तकल्लुफ़ी होना मुझे अच्छा नहीं लगता

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12 JUL 2021 AT 14:12

रोज़ सहतीं हैं जो कोठों पे हवस के नश्तर
हम "दरिन्दे" न होते, तो वो माँए होती।

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11 JUL 2021 AT 19:13

बे वजह बे सबब बहसों में तब्दील होने लगी बातों का सबब क्या है
रिश्ते,किरदार,जज़्बात सब बे तर्क़ हैं कामियाबी वाहिद इसका जवाब है

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11 JUL 2021 AT 18:17

मतलब परस्त दुनिया है यहाँ क़दर पैसों की है
गर वो न हुए तो तुम्हारे फिर तुम्हारे न होंगे

अब किस वहम में हो तुम आंखे तो खोलो
कल की वो भीड़ वो जलसे आज तुम्हारे न होंगे

फ़क़द रिवाजों की मुहब्बत भी मिलेगी तुमको
दिखावे को वो होंगे तुम्हारे लेकिन तुम्हारे न होंगे

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30 NOV 2020 AT 13:38

गर जख्म खुरदने की मंशा से आये हो तो पूंछों हाल मेरा
वरना चेहरे की मुस्कराहट देख कर सब खैरियत समझ लो

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25 AUG 2020 AT 15:39

ताक़त का ग़ुरूर क्यों,कमज़ोरी का ख़याल कर
मिट्टी का खिलौना है तू ख़बर नहीं कब टूट जाए

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24 AUG 2020 AT 15:51

पूरे दिल में फैले पड़े दर्दों को समेंट कर इक्खट्टा किया और कोने में रख दिया
कई रोज़ से नए दर्दों की सिकायत थी की जगह कम पड़ रही है॥

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