रोटी के लिए भागते दिखते हैं जब बच्चे,
फ़िर अपनी ख्वाहिशों पे बड़ी शर्म आये है।-
"If Street Lights Could Speak, They'd Naraate The Stories Of Misdeed Done With Poor, Destitute People And Forced Women."
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Can you see above the wonders of your world?
Into the miseries of those down below.
Can you forgo the depths of your privilege?
To mold them for those deprived.
Can the world tilt on its side?
And blur the distinction
Between the affluent and destitute.-
किस्मत की लकीरों को कुछ यूँ आजमाते हैं,
अपनी कुछ खुशियाँ बेच औरों के थोड़े दर्द खरीद लाते हैं;
कहना है सबका कि बहुत किस्मतवाले हैं हम...
तो आज इसी नवाजिश से कुछ दर्दों को खुशियाँ दे आते हैं...¡¡¡¡-
हर ओर जाके सबसे पूछ रहा है वो,
जिसको आपसब पूजते रहते हो,
कहाँ रहते हैं वो?
उसे भी मांगनी थी अपनी मौत,
आखिर....
भूखा रहकर बेमौत मर ही तो रहा था वो!
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मान या न मान खुदा....
पर तेरे दर से ज्यादा भीड़
मैंने हर अस्पताल में देखा है।-
चाकी के पाटे सिकुड़े बैठे हैं
कुछ तो हो बीच पिसने को।
पलकें सूनी, सूखी रहती हैं
कुछ बचा नहीं है रिसने को।
मिटने का डर भी मिट चला है
अब कहां बाकी हूं मिटने को।
आंख मूंद कर सो जा निंदिया
क्या, कौन, कहां अब दिखने को।
भूल हुई हाय! क्यों उड़ी रे चिड़िया
अब ना ठोर, ठिकाना टिकने को।
डूबी तो ढूंढ़ा सहारा तिनके का
पर कौन सहारा तिनके को।
बिखरे पड़े हताश जमीं पर
नहीं कोई माला इस मनके को।
आंख मूंद कर सो जा गुड़िया
क्या, कौन, कहां अब दिखने को।-
Be the light for the destitute of wisdom, the light you want to have in your life.
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एक रोज जब साँझ ढलेगी
रात से मिलने के लिए अंधेरे की आड़ में
मैं आग की लौ लिए उन हर रास्तों से गुजरूँगा
जिन रास्तों पर रहने वालों को इनका मिलना
याद दिला जाता है उनकी मजबूरियां
मैं शायद कुछ पल के लिए ही सही
रोक सकू उनके मिलन को
और उन बेसहारों के दर्द का अहसास करा सकू
साँझ, रात और अंधेरे का मिलना
इन बेसहारों के लिए मुसीबत है।-
"Longing for The domain where hunger, thirst & knowledge is not price tagged for destitute needies "
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