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Decoration of words is not enough...Nidhi
The soul must b decorated as well !!!-
दिल बेचैन सा रहता है घर वापस आने पर,
जब तक इन आखों में उसकी सूरत नहीं पड़ती,
और जनाब मेरी मां रहती है ना जब घर पर,
मेरे घर को किसी करीने की ज़रूरत नहीं पड़ती।-
ख़ुद में और कितना सूलझूं,
कि तुझमे उलझ कर रह जाऊँ......-
Hush, oh little flower!
Don’t grow so charming and beautiful
‘Cause they may pluck you
Out of your home
And put you dead for their own decorations...-
पिया के घर जाउँगीं , कोने कोने को प्यार से महकाऊँगीं
सौंप दूँगीं ख़ुद को पिया को, दिल में उनके ही बस जाउँगीं-
🎉🙏🙏सुप्रभात🙏🙏🎉
तेरी किरणों से सजा है संसार
सबको देता है ऊर्जा
कर जाता है सबका श्रृंगार ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏-
Pluck her thorns,
And not petals,
Lifless petals will
enhance your
decoration temporarily..!!-
बुझे घर के चिराग, तो रोई राप्ती भी
आंसू नहीं, सिर्फ तबाही लाएगी,
कोई सुने इसकी आपबीती भी......
अपने मासूम बच्चों की चौखट पर जलती लाश देखी,
नज़रे फेर अपनों की ओर,
आँखों में लिए न्याय की तलाश देखी......
न्याय न मिला अश्क़ो को भी,
सियासत मिली अपनों से,
छीन लिया इस राजनीति ने लालों को,
माँ की ममता के सपनों से....
माँ का दामन छोड़ने वाले नेता कहाँ रह गए
न मालूम आँचल में खेलने वाले,
आँचल से कब खेल गये....
तलाश रही है माँ अपने बेटों को,
इस शहर के हर कोने में,
सुकून नहीं है लहरों के एहसासों को
अब बंदिशों में रोने में......
बुझे घर के चिराग़, तो रोई राप्ती भी
-राप्ती
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