"प्रेम की मूरत~बेटी"
किसने कहा बेटियां पराई होती हैं,अरे
ये तो एक नहीं बल्कि दो घर की परछाई होती हैं।
आंगन की तुलसी,खिलती फूलों की क्यारी जैसे
बेटी~बहु बिना,घर की हरियाली मुरझाई होती है।
साथ निभाती उम्र तलक जन्मदाती मां का,तो
वहीं बूढ़ी होती सास के हाथों की काठी होती है।
कौन कहता है,बेटी ना इस घर की ना उस घर की
असलियत में,बेटी~बहु के बिना चौखट अधूरी होती है।
लक्ष्मी, दुर्गा, देवी,मां ,नारी सब एक ही तो रूप हैं
तभी तो बेटी,कुर्बानी,त्याग,और प्रेम की मूरत होती है।।
Happy daughter's day❤️-
सब लिखते हैं ---
मेरी माँ मेरा जहाँ
मेरी बेटी मेरी जान।
रिश्ते तो उस दिन निखरेंगे
जब सब लिखेंगे---
मेरी सासू माँ मेरा जहाँ
मेरी बहू मेरी जान।
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वो मकान घर नहीं शमशान बन जाता है !
जहाँ माँ बाप का आँसूं गिरना आम बात बन जाता है!!
करते हो सच्ची मोहब्बत अगर पति से !
तो उसकी भी इज़्ज़त करो जिसकी कोख में वो पला है !!
लोग बहू लाते हैं मन में लेके कई अरमान!
सपने सजाते हैं कई वो सुबह शाम !!
क्या हुआ अगर उसने दो बात कह दिये !
क्या अपनी माँ ने कभी कोई बात ना कही !!
कहते हैं बेटियाँ तो होती है माँ की परछाई !
क्या यही संस्कार वो मायके से वो ले के आई!!
वो माँ तो थी पर पति की ,सिर्फ यही बात बहू को ना भाई!
बेटी नही मै बहू हूँ ,हर बात पर ये प्रमाण दे आई!!
मैं नित बतियाऊं माँ से पर पति का बतियाना ना भाता !
मैं क्या सच में औरत हूँ ,इस बात का प्रमाण फिर दे आई !!
मैं ये नही कहती की सब बहुये होती है खराब !
पर हां होती है कुछ बहुएं सच में खराब !!
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सांसें कहती,
मां से बिटिया, तूने संस्कार ना पाए,
ज़रा संस्कारो की असली परिभाषा,
मुझे बताई जाए,
जब सांस के हक़ में ही कार गई,
तो कहा से संस्कार पाए,
तब तो तेरी बहू बने,
लक्ष्मी रूपा कहलाए,
कहती थी, ना जी हमे कुछ ना चाहिए,
आज उसके बाप के पैसों पर,
एल - सी - डी लगाए,
चित्रहार देखी जाए,
सांस भी कभी बहू थी भईया,
क्यूं ये समझ ना आए,
क्यूं अपनी सांसों के बदले,
यूं बहुओं से निकाली जाए।।
- पूजा गौतम
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"We treat our daughter in-law like our own daughter", the family flaunted...
But the burnt arm told another story...-
She wished to sleep peacefully
And her in laws made it a reality-
Daughter in law is not a brand ambassador of your family...
She has her own dreams...
Her own opinions...
Her own personality... &
Her own choices...-
While the son went to parties every weekend and didn't think twice without spending money,
The daughter was not allowed to go for a movie with her friends saying they didn't have enough,
While the son-in-law was treated with utmost respect and they got all it took to keep him happy,
The daughter-in-law was made to wash people's feet and anything the inlaws wanted even if it was at the cost of her own happiness.
While they always wanted their son to be on their side because they brought him up,
The daughter-in-law was expected to give priority to her new family over her own parents.
And they speak of gender equality my friend.-
कभी बहू को बेटी बनाकर, तो देखिए आपकी बेटी से अच्छी बेटी, आपकी बहू साबित होगी ।
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वो अपनी ही है वो नही पराई है।
किसी की सही अपने घर एक बेटी ही आयी है।
उसे भी उतने ही नाज से पाला होगा।
जैसे हमने अपनी बेटी को संभाला होगा।
तुम कहोगे तो भी वैसी ही रोशनी फैलाएगी।
जैसे स्वंय अपनी बेटी जगमगाती है।
ये दस्तूर है एक बेटी जाती है दूसरी आती है।
बहु भी किसी की बिटिया ही कहलाती है।
कैसे अपनी बेटी की गलती भूल जाते हो।
फिर बहु के लिए इतना गुस्सा कहाँ से लाते हो।
अरे अपनी बिटिया को भी तो मौके देते है।
फिर बहु की इच्छाएं क्यों दबा देते हो।
अगर चाहते हो बहु ससुराल में ही रहे।
तो ससुराल को मायका क्यों नही बना देते हो।
सास का बुरा होना परम्परा नही है।
जो उसे आगे बढ़ाना है।
अब नई परम्परा की शुरुवात करो।
तुम्हे बहु की माँ बनके दिखाना है।-