Praval Jat   (प्रवल *आकाश*)
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Joined 21 December 2017


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26 JUL AT 15:52

जवाब उनका जमाने में
अब तो सांसें टूट गई मेरी
इंतजार करते मयखाने में

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20 JUL AT 15:29

हमदम
न होगा कोई मरहम।
ये पल बरसों में बदल जाएंगे
हम साथ साथ कहीं दूर निकल जाएंगे।

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19 JUL AT 21:05

सबकी धोते जिंदगी निकल जाएगी।
जब कुछ बचेगा ही नहीं तो क्या फायदा।
ये कह के मेरी बारी कब आएगी।

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15 JUL AT 14:36

मर्ज लाइलाज है कहां कोई दवा काम करे।
भागना लाचारी है कहा कोई आराम करे।
जिसे सब कुछ सौंप दो वही बदनाम करे।
देख दुनिया के दुख आदमी राम राम करे।

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15 JUL AT 14:27

कुछ करो दूसरों के लिए।
अपने लिए जिए तो क्या जिए।
जियो जरा गैरों के भी लिए।

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14 JUL AT 12:54

तू वादे से मुकर गया।
मैने भी नहीं ली खबर कभी,
की इसके बाद तू किधर गया।

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13 JUL AT 23:01

पर आ गया कलम से AAG लगाना।।

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13 JUL AT 18:01

बस एक इंसान की तलाश में
जो मुझे तदफीन (दफन) कर दे।

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13 JUL AT 17:56

जो खुद को ही लिख दूं तो किताबें बहुत हो जाएं।
जो पढ़ ले एक भी पन्ना मुझपे फिदा बहुत हो जाएं।

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12 JUL AT 21:21

इसमें खुद से मुलाकात होती है।
जो हर कहीं की नहीं जाती।
अकेले में खुद से वो बात होती है।

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