Praval Jat   (प्रवल *आकाश*)
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Joined 21 December 2017


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4 MAY AT 18:01

खुल गए वो राज भी , जिनके खुलने का डर था।
तुमने देखा क्या वो रावण , जो कभी अमर था।
प्यार जुनून हिकारत गुस्सा, उसपे सब बेअसर था।
हवा चली उखड़ गया , बड़ा कमजोर शज़र था।
दर्द हँस कर सहा हमेशा, माँ की दुआ का असर था।

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3 MAY AT 17:56

भूलकर जो कुछ इस भुलावे में है
कि सब भूल चुके।
कितने गहरे बैठे है उनमें हम
क्या ये भी वो भूल चुके।

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2 MAY AT 20:49

राजेश को भूख लगी थी, आज कोई काम नहीं मिला।
बस एक बड़ा पाव और घनी अंधेरी रात।
जल्दी जल्दी चल रहा था, ताकि कही बैठ उसे खा सके,
एक ठोकर और बड़ा पाव रस्ते पे, कुछ सोच पाता उससे पहले एक आवारा कुत्ता उसे लपक के भाग चुका था।
तभी एक कार पास से गुजरी, विंडो नीचे हुई और एक थैली उसके सामने गिरी, जिसमें एक बची बिरयानी और एक पूरा वेज रोल था।
असमंजस में था, कि कौन ज्यादा भाग्यशाली था आज रात। वो आवारा कुत्ता या वो खुद।

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2 MAY AT 20:42

क्या लगता है तुम्हें,
सिर्फ तुम्हारे कहने से मैं हार जाऊँगा।
हारने तो मुझे ऊपर वाले ने तब भी नही दिया था,
जब मैंने खुद अपनी हार मान ली थी।

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13 AUG 2023 AT 15:38

बड़ा गुमान है अपने इस हुनर पर तुम्हे,
जब दिन हमारा हो ले आना अपना हुनर तुम।
तुम्हारे मुंह से भी बस यही निकलेगा,
दिन सामने वाले का हो हुनर काम नहीं आता।

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31 JUL 2023 AT 21:32

जब भी कर्म और भावनाओं में से किसी एक को चुनना हो तो, हमेशा कर्म को चुनना।
भावनाएं अक्सर बस सैलाब की तरह होती है, आके लौट जाती है, पर कर्म हमेशा रहते है। आपके साथ आपके विश्वसनीय साथी की तरह।

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25 JUN 2023 AT 18:04

जाना नहीं है उस तरफ
जिधर मंजिल सामने हो।
मैं तो उस सफर का राही हूं
जहां रास्ता खत्म नहीं होता।

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12 APR 2023 AT 18:04

देकर दो रोटी किसी गरीब को
खींच ली हमने सेल्फी।
और गुमान ये की हम
इंसान से भगवान हो गए।

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12 APR 2023 AT 17:56

जैसे आज ही की कहानी लगती है,
कोई छांव सुहानी लगती है।
मेरे दिल में हरदम मुस्कुराती है वो,
कब ये बात पुरानी लगती है।

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15 JAN 2023 AT 7:19

मन कहे

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