भूलकर जो कुछ इस भुलावे में है
कि सब भूल चुके।
कितने गहरे बैठे है उनमें हम
क्या ये भी वो भूल चुके।-
कुछ जमाने की बात रख दी है
आखों में नरमी जुबान पे अदब है
शब्दों में क... read more
राजेश को भूख लगी थी, आज कोई काम नहीं मिला।
बस एक बड़ा पाव और घनी अंधेरी रात।
जल्दी जल्दी चल रहा था, ताकि कही बैठ उसे खा सके,
एक ठोकर और बड़ा पाव रस्ते पे, कुछ सोच पाता उससे पहले एक आवारा कुत्ता उसे लपक के भाग चुका था।
तभी एक कार पास से गुजरी, विंडो नीचे हुई और एक थैली उसके सामने गिरी, जिसमें एक बची बिरयानी और एक पूरा वेज रोल था।
असमंजस में था, कि कौन ज्यादा भाग्यशाली था आज रात। वो आवारा कुत्ता या वो खुद।-
क्या लगता है तुम्हें,
सिर्फ तुम्हारे कहने से मैं हार जाऊँगा।
हारने तो मुझे ऊपर वाले ने तब भी नही दिया था,
जब मैंने खुद अपनी हार मान ली थी।-
बड़ा गुमान है अपने इस हुनर पर तुम्हे,
जब दिन हमारा हो ले आना अपना हुनर तुम।
तुम्हारे मुंह से भी बस यही निकलेगा,
दिन सामने वाले का हो हुनर काम नहीं आता।-
जब भी कर्म और भावनाओं में से किसी एक को चुनना हो तो, हमेशा कर्म को चुनना।
भावनाएं अक्सर बस सैलाब की तरह होती है, आके लौट जाती है, पर कर्म हमेशा रहते है। आपके साथ आपके विश्वसनीय साथी की तरह।-
जाना नहीं है उस तरफ
जिधर मंजिल सामने हो।
मैं तो उस सफर का राही हूं
जहां रास्ता खत्म नहीं होता।-
देकर दो रोटी किसी गरीब को
खींच ली हमने सेल्फी।
और गुमान ये की हम
इंसान से भगवान हो गए।-
जैसे आज ही की कहानी लगती है,
कोई छांव सुहानी लगती है।
मेरे दिल में हरदम मुस्कुराती है वो,
कब ये बात पुरानी लगती है।-
बिना कुछ कहे ऐसे किया शर्मिंदा उसने,
दिया भी बहुत कुछ और जताया भी नहीं।-