Praval Jat   (प्रवल *आकाश*)
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Joined 21 December 2017


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11 SEP AT 11:54

काम अधूरा मत छोड़ो।
ये लापरवाही की निशानी है।
मत सोचो आगे बढ़ जाओगे।
दुनिया तुमपे हंसती जानी है।

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11 SEP AT 11:37

उड़नतश्तरी सा जो कभी से नजर आता है।
उससे रिश्ता कोई दूर का है या रिश्ता खास है।

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9 SEP AT 20:11

साहस होना चाहिए
जरूरत पे चुप रहने का।
साहस होना चाहिए
अपना दुख खुल के कहने का।
साहस होना चाहिए
लंबी दूरी तय करने का।
साहस होना चाहिए
वतन पे मरने का।
साहस होना चाहिए
बस होना चाहिए।

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9 SEP AT 20:01

दर्द तो मां
हिम्मत तो पिता
मदद तो दोस्त
चाहत तो पत्नी
राहत तो ईश्वर
बाकी सब कहानियां।

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8 SEP AT 21:41

जब बुरा वक्त आता है,
मन थोड़ा घबराता है।
फिर जब देखता हूं दुनिया,
हौसला लौट आता है।

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8 SEP AT 15:59

पहले अपना साथ निभाओ।
फिर देखना उन भीगी हुई आंखों में।
कुछ कर पाए तो अच्छा है।
वरना डूब जाएंगे उन गहरी आंखों में।

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7 SEP AT 13:23

कुलबुलाती सी एक ख्वाहिश,
जो बाहर आने बेचैन है।
एक मै जो मान बैठा हूं,
ख्वाहिश दबाने में सुख चैन है।

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3 SEP AT 19:18

एक फूल लगा दूं बालों में
अगर तुम इजाजत दो।
एक लम्हा चुरा लूं इस मुस्कान का
अगर तुम इजाजत दो।
उम्र भर को तुम्हारा हो जाऊं
अगर तुम इजाजत दो।
लूं चुम्बन इस गर्वित माथे का
अगर तुम इजाजत दो।

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3 SEP AT 19:08

रुसवाई हुई जगहंसाई हुई।
जब वो किसी की लुगाई हुई।
वफ़ा की आड में बेवफाई हुई।
जब वो किसी की लुगाई हुई।
नींद नहीं रात भर बस जम्हाई हुई।
जब वो किसी की लुगाई हुई।
रोया चीखा फिर जा के विदाई हुई।
जब वो किसी की लुगाई हुई।

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1 SEP AT 19:41

ये दौर मुलाकातों के बड़े अच्छे है।
कुछ यार है नख़रीले पर सच्चे है।
दुनिया की कमीनगी से वाफिक नहीं है।
दिल से तो हम अभी बच्चे है।
कुर्सी पे बैठे हुए हाथ में डिस्पोजल में चाय है।
पता कुछ नहीं फिर भी पूछो इसपे क्या राय है।
वक्त की बातें भी वक्त बिगाड़ते हुए हो रही है।
न मिलना होगा अब सोच के आंखें रो रही है।
ये दौर मुलाकातों के बड़े अच्छे है।




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