QUOTES ON #DAHIHANDI

#dahihandi quotes

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24 AUG 2019 AT 14:19

काले काले बादल और बहे ठंडी ठंडी बयार ,
ओ राधा आ तेरी चुनरी में लगा दूँ रंग हजार।
सतरंगी तेरे होठो की मधुर मीठी मुस्कान,
तेरा मेरा संगम जैसे दो जिसम इक जान।

बोलो राधे-राधे 🙏

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31 AUG 2021 AT 0:17

मेरे लिए मेरे जीवन का पहला प्यार तुम हो।

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31 AUG 2021 AT 14:25

वो शुभ घड़ी अाई।
आज है कान्हा जी का जन्म,
चलो करे उन्हें शत शत नमन।
गोकुल में कहते उन्हें नंदलाला,
माखन जो चुराकर खाया तो
माखनचोर कह डाला।
उन्हें देख सभ ने साथ में खुशियां मनाई,
उनके नटखट स्वरूप के आगे
कोई बुरी शक्ति तिक ना पाई।
वो शुभ घड़ी अाई।

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19 AUG 2022 AT 13:48

Shri Krishna Janmashtami, Eliminate the kansa within you, to restore Dharma.
Happy Krishna Janmashtami

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30 AUG 2021 AT 9:30

डर लगता नही उसे मुझे खोने से कही...
वहम उसका भी टूटेगा एक दिन...
जब मिलेगा नही मुझ जैसा खिलौना....
पूरे बाज़ार में ढूढने से कही...

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11 AUG 2020 AT 9:25

मथुरा में जन्म लिए
गोकुल में लीला रचाई
लेकर यादें कान्हा की
आज फिर से जन्माष्टमी आई

बचपन में माखन चुराया
गोपियों के मन को लुभाया
कंश जैसो का बनके काल
द्वापर में जन्मे नंदलाल

गोकुल में वंशी बजाई
गायो के बीच जिंदगी बिताई
बनके रक्षक इस धरा की
कान्हा ने दुनिया बचाई

दही हंडी की रिवाज लाये
गोकुल में माखन चोर कहलाये
ऐसे प्यारे मोहन मुरारी के लिए
चलो आज जन्माष्टमी मनाये

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5 SEP 2018 AT 0:10

गगनभेदी ढोलों की आवाज़ पर
थिरकती लावणी
और संग संग थिरकती ये धरा,
बारिश की फुहार,
गुलाल की बहार,
मस्ती में मगन गोविंदाओं की टोली,
बादलों के उस पार जाती दही हांडी,
और दही हांडी के पार जाती ,
गोविंदाओं की ऊँची मीनारें,
पल भर में ढह जाती बालू के ढेर सी,
अगले ही पल फिर उठ जाती शेर सी,
न डरती, न थकती, हांडी तोड़कर ही दम भरती,
मस्ती में मगन गोविंदाओं की टोली..

#आमची संस्कृती


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12 AUG 2020 AT 11:32

ना गल्ली गल्ली गोविंद के आने का शोर है,
ना कहीं मटकी फूटने की आवाज़।
ना लाउड-स्पीकर की धूम है,
ना प्रतियोगिता का उत्कट।
सबकुछ बस शांत है और मन मे है विश्वास।
मुंबई की सड़कें इस बरस बस सब ठीक
होने का कर रही है इंतज़ार।

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3 SEP 2018 AT 9:10

त्यौहार वही है,
शायद हम बदल गए,
मटकी फोड़ने वाले हाथ,
दर्शक बन,
ताली बजते रह गए।।।

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24 AUG 2019 AT 23:19

प्रेम के बंधन में श्याम
हर पल यूं बंधते रहे,
कभी राधा के प्रीत में डूबे,
तो कभी मीरा के दिल में बसते रहे।
कभी गोपियों के कान्हा बने ,
कभी रुक्मणी के कन्हैया,
यूंही प्रेम धारा में बहते,
सूदामा संग हंसते रहे।
प्रीत में खोई बांसूरी से वो
गोकूल का मन भी मोह गए,
कभी पर्वत को वो हाथ लिए,
कभी नाग पे तांड़व किए।
प्रेम कि नई दिशा दिखाकर
हजारों दिल में बसते रहे,
वो माखन चोर कृष्ण कन्हैया
यूंही प्रीत में बंधते रहे।

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