दास्तान ए शब ए हिज्र सुनाने चला हूँ मैं
ख़ुद के सीने पे खंजर चलाने चला हूँ मैं
चश्म सुर्ख़ हैं सोया नहीं हूँ कई रातों से
चारा ए दिल की दवा दफ़नाने चला हूँ मैं-
Kya zurm hai?
teri aye duniya hum mardon par,
Rista chahe…
jaan se pyara kyun na ho hamein dafnana padta hai!-
Tute hi the ki hum ,
bas bekharna Baki tha
Saas toh chl rhi thi tujh bin,
Bas dafnana Baki tha ..
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यूं तो हमने भी सीख लिया था ख्वाहिशों को दफनाना
पर वो बेचैनी हमें चैन से जीने कहां दे रहीं थीं!-
ख़्वाबों को ख़ामोशियों में ही समेटने में वक्त लगा
ख़्वाहिशों को ख़ामोशी की तह में दफनाने में वक्त लगा 💔-
Na jane kitne saal ho gaye, tumko Dafnaye huye,
Aey khwahisho, tum magar aaj bhi yad aati ho..-
ग़म की बस्ती में शम्माँ जलाने चला हूँ .
आँख पुरनम है और मुस्कुराने चला हूँ ..
दर्द से कोई कह दे न इतराये इतना .
मैं ज़ख़्मों पे मरहम लगाने चला हूँ ..-
जब जब मैं खुद को मरा हुआ पाता हूं
अपने ही भीतर की कब्र में खुद को दफनाता हूं-
Hai jo ye sitaare aasman me
Unko ab zameen par lana hai
Ye jo dekh rahe hai khwab hamko mitaane ke
Hame ab unke armaanon'ko apne kadmome dafnana hai-
हां मैं तो पहले ही बहुत बदनसीब था,
लेकिन' उसके आने और जाने के पहले,
मैंने चंद महीनों के लिए खुशनसीबी देखी।
और फिर उसके जाते ही मैं फिर से बदनसीब हो गया।-