कभी लिखूंगी हमारी पहली मुलाक़ात का वो किस्सा
तो सबसे पहले हया बाद फिर ख्यालों का मैं इंकार लिखूंगी
दिल पे उभरती उन तस्वीरों को
हमारी पहली मुलाक़ात लिखूंगी ___ ♥
निगाहों का मिलना और वो दिन भर मेरे मुस्कुराने का किस्सा
दिल के उस सुकून को पहले बाद फिर
इसे मैं इज़हार लिखूंगी
तुझसे जुड़े अधूरे से अपने सारे जज़्बात लिखूंगी ___ ♥
अपने इस एहसास को कभी लिखूंगी
तो अपनी मोहब्बत का हर लम्हा तुम लिखूंगी
अपनी हयात का सिर्फ एक हिस्सा नहीं
कभी लिखूंगी तो ज़िन्दगी ही तुम लिखूंगी ___ ♥
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