Going home.
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आँखों से दरिया बह गया,सूखे किनारे रह गए
वस्ल की रात आई नहीं,हम हिज्र के मारे रह गए
डूब चला है जब से मेरी मोहब्बत का सूरज
उदास मेरी हर शाम के मंज़र सारे रह गए
दर्द की बारिश ने सब नक़्श खुशियों के धो दिए
हम गर्दिश में भटकते इक सितारे रह गए
दिल बंजर जमीं सा हो गया,वो फूल जबसे बिछड़ा है
जीने की खातिर अब,बस यादों के सहारे रह गए-
सुना है,,,,,वक्त की लहरों में सब बेनिशाँ सा है..
मंज़ूर है मुझे फिर,,,तेरे इश्क से सराबोर ,,,वो
दरकिनार से सूखे किनारे......-
Always remember in a COMPETITION the OPPONENT who LOST has the same Winning Capability as of the WINNER.
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उनसे कहो अब जो आए, तो बर्फ साथ लाए।
उनके जख्मो का जाम, हमने सम्भाले रक्खा है।।-
अभी तो उन कोरे पन्नों में, मेरे अधूरे ख्वाबों में
तेरा मुकम्मल होना बाकी है
राधा और रूकमण तो बनकर देख लिया अब
मीरा होना अभी बाकी है।।।
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