पहले सब से मिलना होता था ।
आजकल खुद से भी मिलना बहुत कम होता हैं।।
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हम दुआ भी करते है तो बदनाम हो जाते है,
वो कत्ल भी करे तो उनकी चर्चा नही ... read more
खुद में उलझकर हमेंशा दूसरों को सुलझाने की
कोशिश करती हूँ
ना जाने में क्या करने की कोशिश करती हूँ।
कोई ना कोई हर दिन रूठ जाता है और उसे
हर दिन मनाने की कोशिश करती हूँ
खुद सवालों में कैद हूँ, लेकिन कोई दूसरा अगर
पूछे तो मैं जवाब देने की कोशिश करती हूँ।
लोगों के चेहरे के पीछे छिपे होते है नकाब लेकिन
मैं तो खुद उनका राज छिपाने की कोशिश करती हूँ
मिला मुझे क्या इससे कोई गिला नही लेकिन कोई
मुझसे माँगे तो मैं उसे बेशुमार देने की कोशिश करती हूँ
मसला इस बात का नही है की मै ये सब करती हूँ
दुख इस बात का है सब लोग फिर भी कहतें है
मैं कुछ नही करती हूँ-
फिल्टर काॅफी के जमाने में, चाय की चुस्कीयो सी हूँ
और कुछ हिस्सों में,मैं पूरी कहानी सी हूँ
मैं थोडी पुरानी सी हूँ।
इस कबीर सिंह के जमाने में ddLG जैसी हूँ
मैं शोर्ट के जमाने में हवा में लहराती साडी सी हूँ
हाँ मैं थोडी फिल्मी सी हूँ।
ऐअर फ्रेशर के जमाने में गीली मिट्टी की सुगंध सी हूँ
मैं लाॅग ड्राइव के जमाने में लाॅग वाॅक सी हूँ
मै कोर्ट मैरिज छोड़ सात फेरो सी हूँ
मैं कुछ सयानी सी हूँ।
ताजमहल जैसी निशानियों में, मैं निधि वन सी हूँ
मै अपने कृष्ण को ढूँढती राधा सी हूँ
अभी इंतजार में बैठी मीरा भी हूँ
मैं कुछ बावली सी हूँ।
इंगलिश आर्टिकल में,मैं हिन्दी कविता सी हूँ
कोई इरशाद कहे तो फरमाती उर्दू भी हूँ
हाँ मैं शेरो शायरी सी हूँ।
मैं हेडफोन के जमाने में पुरानी कैसेट सी हूँ
मै party night छोड़ poetry night सी हूँ
मैं ज्यादा नही बस थोड़ी पुरानी सी हूँ।
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ये वो वो ये तो कहानी है
मौत आनी है तो आनी है
ये जंग नही कि लड लोगों तुम
ये आफत आसमानी है।💔-
आज रुख़सत हूँ किसी बात से
या फिर अपने आप से
घरवालों के शोर से परेशान हो जाऊँ
या खुद की अनकही खामोशी पे रो जाऊँ
माना सबको कई शिकायत है मुझसे
लेकिन मुझे भी होगी ना कुछ तो किसी से
कभी कभी लगता है सब से यू सवाल करूँ
फिर सोचती हूँ क्यूँ बेमतलब बवाल करूँ
सारे रिश्तो के कायदे में रहना है
खैर अभी तो मुझे बहुत कुछ सहना है।-
आफताब में लिखी किताब से हो तुम
और मैं रूहानी शाम की तन्हाई सी।।
आंखो से ही बयां हो जाती है हस्ती तेरी
और खुद के सवालों में गुम है कश्ती मेरी।।
दिल मे मचे बेमतलब शोर से हो तुम
और हँसी के बाद छाई खामोशी सी मैं।।
तू मुसाफिर तेरे लिए हर मंजिल खडी है
मैं तो वो पगडंडी जो हर पल मिटती गई है।।
तू आसमां का चमकता हुआ पूनम का चाँद और
मैं ठहरी अमावस की काली रात सी प्रिय ।।-
यू रूठ कर ना जाओ यार वैसे भी आजकल बिछड़ने
का दौर चल रहा है।
कोई मतलब की बात छोड़ों तुम बिना मतलब ही बात कर लिया करो वैसे भी आजकल खामोशियां का
दौर चल रहा है।
नजर आने पर तो नजरअन्दाज ना किया करो वैसे भी आजकल रुख़सत होने का दौर चल रहा है।
तन्हाईयों से थोडा किनारा करके बेमतलब ही हँसा करो ना अभी वैसे भी आजकल गमगीन होने का
दौर चल रहा है।
अब सब शिकवे गिले रखकर परे सबका हाल पूछा करो यारों दरअसल ये कोरोना का दौर चल रहा है।-
नजर आने पर तो नजर भर देख लिया करो
वैसे भी आजकल नजरअन्दाज होने
का दौर चल रहा है।
यू खफा होकर दूर ना जाओ यारों दरअसल
आजकल वैसे भी बिछड़ने का
दौर चल रहा है-
वो जा रहा है........?😑
खैर जाने दो
जिन्दगीं में भीड़ बहुत है,
हवा आने दो..😜-