जो
अगर सोचते हो
उस सोच से उलट हूं,
मुझे
कई काम पूरे करने हैं
अधूरी मुलाकात, बातें पूरी करनी है
फिर वहीं पहले जैसी शाम करनी है।
शाम की बातें
भी शाम को पहले सी कहनी है
एक मैं हूं, जो हूं, दूजा एक लिखता हूं
लिखता तो हिस्सा मैं का हूं, किरदार पर वो मैं न हूं,
मैं रातों को चांद से, बातों में जागता, पृथ्वीवासी हूं।।
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