Nikhil Kumar Mishra   (© Nikhil Vidyarthi 2022✍)
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Joined 9 December 2017


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29 SEP 2022 AT 20:54

कहीं हो आना-जाना
सुनो जाना,
टूटे
राग को
लय में लाना

- निखिल विद्यार्थी | 29 सितंबर 2022
Instagram: @beghuman_writer

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21 JAN 2022 AT 0:00

'नजरिया' देखने का हो - 'देखने' का नजरिया नहीं

मैं (We) चीजों को किस रूप में देखता हूँ? सच मानिये मैं बोलूँगा उसी रूप में, जिस रूप में आप नहीं देख पाते या जैसे आप देखते ही नहीं, या हो सकता है आप जैसे देखना ही नहीं चाहते।

... और ये मेरा नजरिया बिल्कुल नहीं हो सकता, क्योंकि नजरिया आपको सीमित करता है। नजरिया आपको, किसी एक/कोई/कुछ बातों, खयालों, विचारों, भावों, कार्यों, सच, झूठ या स्थानों, या यूँ कहें, कि हरेक के सीमित क्षेत्र तक ही रखता है, सीमित क्षेत्र तक ही आपकी बौधिकता को चलने देता है। यह बहुत चिंतनीय है कि 'नजरिया देखने का' होने के बजाए 'देखने का नजरिया' पर अडिग होना आपकी बौधिकता को बढ़ने नहीं देता, सच आप सिर्फ रेंग पाते हैं।

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7 JAN 2022 AT 19:18

इस माया की दुनिया में एक से लेकर अगले तक बढ़ते-बढ़ते मनुष्य उत्कृष्टता तक की यात्रा तय करता है। यही यात्रा जीवन है। इस यात्रा में कुछ नही से कुछ, या मैं तक पहुँचने तक का वक्त #ज़िन्दगी है। ज्यों ही हमें जीवन की प्राप्ति होती है, हमारे अंदर एक असीमित ऊर्जा की क्रियाशीलता महसूस होने लगती है।
🌿💛

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5 NOV 2021 AT 16:17

बचपन की दिवाली वाली रात🕯

4 नवंबर, 2021, घर, जन्म-स्थान, दिवाली रात 2.30 बजे तारीख बदल चुकी है, 5 नवंबर)
दिवाली है, जो पढ़ रहे हैं, या पढ़ेंगे या पढ़ सकेंगे जो बार बार पढ़ना चाहेंगे, मैं आश्वस्त नहीं हूँ, हो सकता है कोई बिल्कुल भी न पढ़े, सभी को शुभकामनाएं।
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#दिवाली वाली डायरी से #
(Read in Caption)

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3 NOV 2021 AT 22:02

मेरी इच्छाएँ, मेरी जरूरतों की बराबरी नहीं कर सकती। ...और सही मायनों में मेरे लिए यही सबसे बड़ा धन है।

आप सभी को दिवाली🕯🌟 की हार्दिक शुभकामनाएँ!

- 💖N.
निखिल कुमार मिश्रा

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27 OCT 2021 AT 18:34

मैंने जाना है, जब डोर पर आपसी पकड़ से ज्यादा डोर की किनारों को एक-दूसरे की तरफ से छीन लेने की झड़प होती है, रिश्ता तब और कमज़ोर होता है जब रिश्तों की रिसाव को अनदेखा कर दिया जाता है।।

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26 OCT 2021 AT 21:04

सोच और सच में फर्क क्यों है
अच्छाई में इंसान दूजे से जुदा क्यों
बुराइयों में दूजे से नहीं है कम, क्यों?

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24 OCT 2021 AT 10:01

मैं कभी भी बेख़बर नहीं हूँ, दोस्त
लेकिन, तुम्हें मेरी ख़बर न रहे
मैं नहीं, हम
इन दिनों बेसुध रहे,
क्या-क्या न सहे, खैर
जैसे भी रहे, अब
कोई मुझसे और मेरी बात न करे।।

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14 OCT 2021 AT 21:40

मैं जब तुम्हें मिलूंगा
बताना, कि एक सवाल
तुम कोई ख़्वाब हो
जीती-सी हक़ीक़त जैसी,
या फिर बस तुम एक खयाल हो!
ख़ाब में अब आओ, तो
बताना यूं कि एक फिर सवाल हो!
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10 OCT 2021 AT 19:09

मैं तुमसे प्यार कर सकता हूँ
तुम मुझे अपना भी नहीं मान सकती क्या
मेरी बातें छोड़ो।।

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