किसी और कि ख्वाहिश नहीं ज़िंदगी में, बस तेरी ज़रूरत है
चाँद-सितारे भी फ़ीके हैं तेरे सामने, तू उनसे भी खूबसूरत है-
Aapko mein mere saamne rona ka haq de sakti hu....
Juthi muskaan toh har kisi ke saamne rakhte ho......
Mujhe woh shaksh banna hai jiske saamne aap khul ke ro sako... Khushi mein na sahi lkn gam mein hamesha yaad aaye meri...-
Mai aapko izzat de skti hu!
Ye 🌙chand sitare🌠
Sab jhuthe kisse h-
चुन कर के हर्फ खुदा की किताब से उसकी खूबसूरती के बारे में लिख रहा हूं,
चांद की रोशनी से चमक उठे मैं अपनी हर गजल के हर्फ उन आस्मां के तारे से लिख रहा हूं,
ये मौसम,ये वादियां,ये झरने,ये घटाए,ये चांद,ये सितारे है जिसके दीवाने,
मैं पागल सा शायर " साहेब " इन कोरे कागज पर आज उस सख्स के बारे में लिख रहा हूं,-
तू कहे तो तेरे कमरे की छत पे
Radium वाले तारे लगवा दूँ।
क्योंकि आसमान से तारे तोड़ कर
मैं नहीं ला सकती।-
Ab hum chand_sitaro ki dunia me chalte hain..
Sote hain....
Or phr, subah uthkar..
Suraj ki roshni se Bhari dunia me aate hain..!!-
ये फूल ये खुशबू ये बहार !
तुमको मिले ये सब उपहार !!
आसमा के चाँद और सितारे !
इन सब से तुम करो सृंगार !!
तुम खुश रहों आवाद रहों..
खुशियों का हो ऐसी फुहार !
हमारी ऐसी दुआ हैं हजार !!
दामन तुम्हारा छोटा पर जाए !
जीवन में मिले तुम्हे इतना प्यार !!
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ज़िंदगी अपनी जगह है हादसे अपनी जगह
खूबसूरत हादसा ना हो तो इनका क्या करे
ये ज़मीं अपनी जगह है आसमां अपनी जगह
ना किसी के काम आएं कोई इनका क्या करे
हैं सितारे भी जगह पर चांद भी अपनी जगह
राह जो ये ना दिखाएं कोई इनका क्या करे
पेड़ भी अपनी जगह पर है नदी अपनी जगह
काम राही के न आए कोई इनका क्या करे
दोस्ती का दम तो भरते हैं सभी संसार में
वक्त पर ना काम आएं कोई इनका क्या करे
कश्तियां अपनी जगह साहिल भी है अपनी जगह
डूबने से ना बचाएं कोई इनका क्या करे
यूँ बंधी बंधन में दुनिया है रिवाज़ों में पली
जो कोई बंधन न तोड़े कोई इनका क्या करे
ज़िंदगी अपनी जगह है मौत भी अपनी जगह
वक्त पर जो ना मिले तो कोई इनका क्या करे।
*****अमरीश अग्रवाल "मासूम"
2122 2122 2122 212-
महबूबा महबूब से चांद मांगती है
सितारों की बिसात क्या?
अब नादान को कौन समझाए कि
बचपन में मीठा चांद और खट्टे सितारे हम पहले ही खा चुके हैं!-