इश्क़-ए-सुरूर से तेरे चेहरे पे चमकता नूर हैं ।
मेरी क़िस्मत से बनी तेरी- क़िस्मत-ए-ग़ुरूर हैं।।
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सबको लगता हैं कि मैं अपने जीवन मे फोकस करता हूँ
लेकिन नजरिया ढंग का रखना, जरूरी नही समझते हैं।।-
दिल बड़ा मासूम होता हैं...
और, दिमाग शातिर होता है।
इन दोनों के बीच बेचारा मन,
बेदर्दी से कुचल दिया जाता हैं।।-
काजळी वर उजळणारा प्रकाश तो तेजाचा आहे....
शितल चंद्रा सोबत सूर्य देखील जीवनी गरजेचा आहे-
ख़तरे की घँटा अनसुनी मत कर ऐ इंसां
कतरा - कतरा हो रही एक लौती ज़िंदगी
इतरा रहा हैं तू...,समय रहते क़ाबू में आना
तीसरे युद्ध की घड़ी बन रही पलभर की न होगी ज़िंदगी
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मोहताज रहें हम सुनने चंद शब्दों के खातिर
क्यों थे ये अपनों से उम्मीदें... अपना कहकर
दिल दिमाग दोस्त बने शायद प्रेम के खातिर
ख़ुद का दिल बहला गए वो... अपना कहकर
और हमें लगा अमर हैं प्रेम, सुने शब्दों खातिर
नक़ाब पहचान न पाए शायद...अपना कहकर
नसिबा को कोसते रहें हम गलत नजरिए ख़ातिर
अब न होगी ये भूल ,कि किसिको अपना कहकर-