किताबो से हटकर धूल कुछ मेरी यादों पर बैठ गयी
दोस्ती इनसे मुझको महँगी पढ़ गयीं
अब हारा हुआ क्या होता है जरा भुला भुला रहता हूँ
जिंदगी में कई मौके है अब खुद को समझाता रहता हूँ
यू तो कई चीज़े है जो इन्होंने उधार में दी है
अब जिंदगी सुधारकर मैं इन्ही को ये वापिस करना चाहता हूँ
हताश था दिल अब ना जाने कहा खोया हुआ
इनके संग अनगिनत दुनिया मिल गयी
ठहरा हुआ था जो एक एक पल मेरे जिंदगी का
इनसे एक पल में सदिया मिल गयी
किताबो से हटकर धूल कुछ मेरी यादों पर बैठ गयी
दोस्ती इनसे मुझको महँगी पढ़ गयीं-
📚BOOKS - THE TRUE LOVER📚
कुछ भी नहीं मेरी जिंदगी में सिवाय किताबों के,
जब तुम आओगे तो बदला हुआ ही पाओगे,
ख्वाब थे मेरे की तुम मेरा कमरा सजाओं,
अब कुछ न रहा मेरे कमरे में सिवाय किताबों के।
सोचा था तुम रहोगे हमेशा साथ मेरे,
कुछ न रहा पास हमारे सिवाय किताबों के,
रोया था जब जब मैं तेरे ग़म मे उन काली रातों में,
तब कोई नहीं था साथी हमारा सिवाय किताबों के,
हो जाता मैं गुमनाम कहीं उन तंग गालियों में,
तब किसी ने न थामा हाथ मेरा सिवाय किताबों के।
बदले जब हालात हमारे तो बदल गये थे यार सारे,
कोई न रहा फिर पास मेरे सिवाय किताबों के,
हर रिश्ते ने तो हमें यहा बेवफ़ाई ही दिखाई,
'चेतन' किसी की न सच्ची मोहब्बत सिवाय किताबों के।-
Kr lugi baad m pyar_vyar...
Phle spne to pura krlu mere yaar..!!!
(_dream_MBBS_✒_)
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"हिमांश" कोई न समझ सका हमें यहाँ, इसलिए खुद को समझाने चले
सुनो ए किताबों, हम तुम्हारे साथ एक दुनियाँ नई बसाने चले॥-
दबती आवाजों की गलियों में शोर है।
घुटते प्राणों के अंतरमन का झकझोर है।
हृदय के उमड़ते रागों का शराबोर है।
लेखनी जगत में कलमकारों का सिरमौर है।
इन किताबों में बहुत कुछ..., और है।
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किताबें हमें रोटी नहीं देतीं,
लेकिन यह बताती ज़रूर हैं, कि
हमारे हिस्से की रोटी कौन खाता है।-
All these days i would honestly prefer to read more books...
Rather than,
Reading other person's Mind...
At the end, Books don't Disappoint us...!!!
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जमाना तो कई बार गिरायेगा पर उठना खुद ही पडे़गा
हालात हो या मजबूरी फिर भी सर उठाके जीना पडे़गा-
दिल लगाना है तो किताबों से लगाओ📖🖋️
कम से कम बीमारी तो ज्ञान वाली लगेगी... 🔥🔥-