रिश्ते-नातों का झूठा जाल लिए फिरता है,
ये इंसा भी कितना अजीब है "हिमांश" जो बवाल लिए फिरता है
यही दफ़ना कर आएंगे तुझे दो गज ज़मीन के अन्दर,
जिनके लिए तू मायाजाल लिए फिरता है
किसको है तमन्ना तेरे साथ क़ब्र पर फ़ना होने की,
जिसको भी देखो वो जर्ज़रता से भरी ढाल लिए फिरता है
ये इंसा भी कितना अजीब है "हिमांश" जो बवाल लिए फिरता है
आजादी है चहुँ ओर हरपल पल-पल में, हो क़ैद यह झूठी शान लिए फिरता है.....-
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"हिमांश" हम आख़िर निकले भी तो किसकी तलाश में,
ख़ुद की या फ़िर उस ख़ुदा की जिसकी तलाश का अन्त नहीं है।।
(चलो चलते हैं क्षितिज की तलाश पर जो आनंदमय है)-
सम्पूर्ण सम्भावनाओं का जागृत जगत तुम्हारे अंदर है,
सम्भल कर चलना पथिक बाहर विचलित हुआ समन्दर है
यहाँ सभी आयामों पर पग-पग लिपटी बेड़िया हैं,
तुम न रुकना थक-हारकर किसी भी मोड़ पर
क्योंकि यहाँ पर कालान्तर से चलती हुई फेरियां हैं
"हिमांश" सम्पूर्ण सम्भावनाओं का जागृत जगत तुम्हारे अंदर है...-
"हिमांश" सुना है कि तुम ख़ुदा को हरवक़्त याद करते हो,
हाँ, जी हो सकता है कि एक दिन किसी पल "ख़ुदा" भी मुझे याद कर ले॥
💐मेरे राम💐-
जूठ, फ़रेब और जाल अब पास नहीं रहे मेरे,
जो भी ख़ास थे अब ख़ास नहीं रहे मेरे
रही ता-उम्र, रही ता-उम्र सिक्कों से जेब खाली हमारी
कहने को तो सभी जिंदा हैं, इस जहां में हर जगह पर
"हिमांश" जब बात आई हमारी, तो ज़िंदा नहीं रहे मेरे-
किसीने क्या खूब कहा है:-
"हिमांश" आख़िर ये कैसे तय होगा,
कि ख़ुदा है तो मैं हूँ या फिर मैं हूँ इसलिए ख़ुदा है॥-
जूठ, फ़रेब और जाल अब पास नहीं रहे मेरे,
"हिमांश" जो भी ख़ास थे, अब ख़ास नहीं रहे मेरे।।-
जीवन निरन्तर प्रकृति के साथ सामंजस्य से जिया जाता है,
"हिमांश" न कि किसी धारणा के साथ॥-
आज स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर आप सभी को मानसिक गुलामी की हार्दिक बधाई हो।
🇮🇳जय हिंद🇮🇳-
हर शह पर कोई ईनाम रखता है,
हर शह पर कोई ईनाम रखता है
वो जब भी भंवर में होता है,
वो जब भी भंवर में होता है
अपने लबों पर मेरा ही नाम रखता है॥-