जीवन की आड़ लिए मौत खड़ी है, पूछते क्या हो
रिश्तों के सौगात में बन्धन हर घड़ी है, पूछते क्या हो
सम्बन्धों की दुहाई लालच पर ही चली है, पूछते क्या हो
जिस प्रेम प्रवाह से तुम्हें शर्मिन्दगी है, पूछते क्या हो
"हिमांश" जीवन की आड़ लिए मौत खड़ी है, पूछते क्या हो-
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"हिमांश" किस जीवन यात्रा पर निकले हो,
जब मौत ही एक मात्र "सत्य" है॥
💐परमात्मने नमः💐-
न आदि न अन्त का, मैं अघोर हूँ मलंग का
न पुण्य न पाप से, मैं अघोर हूँ राख से
न जन्म न मृत्यु में, मैं अघोर हूँ रक्त में
न शून्य न अनन्त का, मैं अघोर हूँ कल्प का
न राग न वैराग्य है, मैं अघोर हूँ मंझधार है
न प्रेम न बंधन जैसा, मैं अघोर हूँ अपने जैसा
मैं अघोर हूँ! मैं अघोर हूँ! हाँ, मैं अघोर हूँ!-
ये जो अधूरी हसरत लिए तुम जीते हो,
बताओ अगर ये हसरतें पूरी हो भी जाए तो क्या होगा
फिर क्या तुम उसके बाद कोई नई हसरतें नहीं बनाओगे,
बताओ अगर कोई नई हसरत नहीं बनाओगे तो जिओगे कैसे ताउम्र
क्या है कोई जवाब इस सवाल का या फिर सवालों में ही जीवन है,
क्यों न फिर यही कहा जाए कि पूरा जीवन ही एक सवाल है॥
💐परमात्मने नमः💐-
कुछ रहेगा समय के साथ कुछ पलभर में सिमट, इसी समय में रह जाएगा
कुछ भी नहीं है शाश्वत यहाँ, सब कुछ पल-पल में गुज़र जाएगा
जो तुम समझ रहे हो रिश्ते जन्मों-जन्मों के, यह खेल मौत तक दम तोड़ता छोड़ जाएगा
कुछ भी नहीं है शाश्वत यहाँ, सब कुछ पल-पल में गुज़र जाएगा
जो चल रहा है कदम-कदम पर सिक्कों का खेल चारों ओर यहाँ, कौन सिक्का अब किस काम आएगा
कुछ भी नहीं है शाश्वत यहाँ, सब कुछ पल-पल में गुज़र जाएगा-
जीवन में कोई तो रहे ऐसा, न कोई दूजा हो वैसा
न हो कोई ख़ुशी की ख़्वाहिश, न हो किसी ग़म से वास्ता
"हिमांश" जिसमें हो ईश्वर का हर अंश, जो मृत्यु तक का तय करे रास्ता
💐परमात्मने नमः💐-
सवालों की दुनियाँ में तुम जवाब ढूंढते हो,
कितने नादाँ हो तुम जो हरबात ढूंढते हो
वक़्त के साथ क्यों बढ़ते ज़ज़्बात ढूंढते हो
"हिमांश" आख़िर क्यों सवालों की दुनियाँ में तुम जवाब ढूंढते हो...-
जितना जीना नहीं है उतना समान लिए बैठा है,
ये इंसान भी न जाने कितने अरमान लिए बैठा है
घट रही है पल-पल मृत्यु यहाँ सभी आयामों पर,
फिर भी ये इंसा न जाने कितनी दुकान लिए बैठा है
जितना जीना नहीं है उतना समान लिए बैठा है,
"हिमांश" ये इंसान भी न जाने कितने अरमान लिए बैठा है...-
जीवनभर सीखने और समझने के बाद आप
अन्त समय तक आते-आते यह जान जाओगे कि
यहाँ पर जीवन जीने के सिवाय सीखने और समझने के लिए कुछ भी न था॥-
मेरा ख़ुदा मुझे सम्भाल रखता है,
मुझ पर अपने रहमोकरम की ढाल रखता है
मेरा ख़ुदा मुझे सम्भाल रखता है,
गिरता हूँ जितनी भी दफ़ा वो दामन में डाल रखता है
मेरा ख़ुदा मुझे सम्भाल रखता है,
हरवक़्त रहती है रहमत उसकी सर पर मेरे,
वो न जानें कितनों की पगड़ी उछाल रखता है
मेरा ख़ुदा मुझे सम्भाल रखता है,
"हिमांश" जो हैं क़ैद इस जहां में किसी की दो पल की आज़ादी में,
वो ख़ुदा ही ख़ुद तेरा हरदम ख्याल रखता है
मेरा ख़ुदा मुझे सम्भाल रखता है॥
◆मेरे राम◆-