Himanshu Tomar   (अल्फाज़ जो अब आज़ाद हैं...)
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Joined 7 January 2019


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19 AUG AT 17:22

जीवन निरन्तर प्रकृति के साथ सामंजस्य से जिया जाता है,
"हिमांश" न कि किसी धारणा के साथ॥

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15 AUG AT 9:24

आज स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर आप सभी को मानसिक गुलामी की हार्दिक बधाई हो।
🇮🇳जय हिंद🇮🇳

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3 AUG AT 21:05

हर शह पर कोई ईनाम रखता है,
हर शह पर कोई ईनाम रखता है
वो जब भी भंवर में होता है,
वो जब भी भंवर में होता है
अपने लबों पर मेरा ही नाम रखता है॥

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3 AUG AT 14:45

जब है कृष्ण रथ(जीवन) हाँकनेवाला,
तब मन में कैसे कोई अविश्वास धरूँ

जब है अर्जुन तार्किक(प्रेममय) संवाद वाला,
तब कैसे न कोई संवाद करूँ

जब तक है जीवन का सार यही(प्रेम),
तब-तब ऐसे मित्र से मित्रतापूर्ण व्यवहार क्यों न करूँ

"हिमांश" जब है कृष्ण रथ(जीवन) हाँकनेवाला,
तब मन में कैसे कोई अविश्वास धरूँ

तब मन में कैसे कोई अविश्वास धरूँ,
आख़िर तब मन में कैसे कोई अविश्वास धरूँ

💐आप सभी को मित्रता पूर्ण व्यवहार के साथ
इस मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई💐
🙏जय श्री कृष्ण🙏

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2 AUG AT 19:55

जीवन का विजय बिगुल मृत्यु के बाद ही बजता है,
"हिमांश" क्योंकि आप जीते जी कुरुक्षेत्र के मैदान में हैं॥

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19 JUN AT 23:11

जीवन की आड़ लिए मौत खड़ी है, पूछते क्या हो
रिश्तों के सौगात में बन्धन हर घड़ी है, पूछते क्या हो
सम्बन्धों की दुहाई लालच पर ही चली है, पूछते क्या हो
जिस प्रेम प्रवाह से तुम्हें शर्मिन्दगी है, पूछते क्या हो
"हिमांश" जीवन की आड़ लिए मौत खड़ी है, पूछते क्या हो

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18 JUN AT 0:17

"हिमांश" किस जीवन यात्रा पर निकले हो,
जब मौत ही एक मात्र "सत्य" है॥
💐परमात्मने नमः💐

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12 MAY AT 22:37

न आदि न अन्त का, मैं अघोर हूँ मलंग का
न पुण्य न पाप से, मैं अघोर हूँ राख से
न जन्म न मृत्यु में, मैं अघोर हूँ रक्त में
न शून्य न अनन्त का, मैं अघोर हूँ कल्प का
न राग न वैराग्य है, मैं अघोर हूँ मंझधार है
न प्रेम न बंधन जैसा, मैं अघोर हूँ अपने जैसा
मैं अघोर हूँ! मैं अघोर हूँ! हाँ, मैं अघोर हूँ!

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7 MAY AT 17:26

ये जो अधूरी हसरत लिए तुम जीते हो,
बताओ अगर ये हसरतें पूरी हो भी जाए तो क्या होगा
फिर क्या तुम उसके बाद कोई नई हसरतें नहीं बनाओगे,
बताओ अगर कोई नई हसरत नहीं बनाओगे तो जिओगे कैसे ताउम्र
क्या है कोई जवाब इस सवाल का या फिर सवालों में ही जीवन है,
क्यों न फिर यही कहा जाए कि पूरा जीवन ही एक सवाल है॥
💐परमात्मने नमः💐

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4 MAY AT 15:16

कुछ रहेगा समय के साथ कुछ पलभर में सिमट, इसी समय में रह जाएगा
कुछ भी नहीं है शाश्वत यहाँ, सब कुछ पल-पल में गुज़र जाएगा
जो तुम समझ रहे हो रिश्ते जन्मों-जन्मों के, यह खेल मौत तक दम तोड़ता छोड़ जाएगा
कुछ भी नहीं है शाश्वत यहाँ, सब कुछ पल-पल में गुज़र जाएगा
जो चल रहा है कदम-कदम पर सिक्कों का खेल चारों ओर यहाँ, कौन सिक्का अब किस काम आएगा
कुछ भी नहीं है शाश्वत यहाँ, सब कुछ पल-पल में गुज़र जाएगा

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