उसके सिद्धांतों का खून किया गया है,
प्रभु,,,
वो युहीं किसी के सामने सर नहीं झुकाता....!
उसके पेट की भूख उसे झकझोड़ रही है,
प्रभु,,,
वो युहीं किसी कचरे के डब्बे से रोटी नहीं खाता...!!-
जाना मुझे भूक लगी है जोरो की, मैं तुम्हे खा सकता हूं।
सुबह से कुछ नी खाया मैंने, इस हद तक जा सकता हूं।
तुम अगर बचना चाहती हो तो, रोटियां बना दो जल्दी से
नी तो मैं तुम्हें खाने के बाद पड़ोसी के भी जा सकता हूं।
😜😜🤭🤭😋😋😋😋😋
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फुरसत से भी फुरसत नही है उनको
बैठे है जो थामे सिंहासन के पद को
मुट्ठीभर दाने जुटाने को ,कलेजे की
भूख मिटाने को ...
चौराहों पर विवश है हाथ फैलाने को
सवेरे से ,सांझ है गुजर जाती
भूख की तडप, भूख की प्यास है
बन जाती...
जुटता नही है दो वक्त का खाना
दिनभर में...
रात में चीखों की आवाज है आती
जब एक मां बच्चे को भूखा है सुलाती.....
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Dekh kar hairaan thi sahab
Dil ki Ameeri thi ya Insaniyat ki Had
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इंसान की मोहब्बत,
कुछ इस किस्म की हो गई है।
एक से मन भर जाए,
तो भूख दूसरे जिस्म की हो गई है।
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ख़ुशी मेहेंगी और गम सस्ता है
दर्द में भी वो गरीब हँसता है,
कोई फेंक देता है रोटी कूड़ेदान में
कोई एक एक टुकड़े को तरसता है।
हर हाल में मुतमइन,ना शिकवे ना गीले
जो मिलता है खुदा का शुक्र अदा करता है,
काँटों भरी राहें, मंजिल का पता नहीं
फिर भी बेफिक्र अपना सफर तय करता है।
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|| भूख ||
इश्क-मोहब्बत मिट्टी , ईमान भुला देती हैं,
भूख जब कचोटती हैं,इंसानियत भुला देती हैं|
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