किने दिन किने साल गए ने हो.... कल्ला बैठ कर याद लैना रौ इक गल आखां जे तू सून लैं... तेरे बीना तेरे पुत् दा नी सरदा मैं तेनू "बापू" बाला मिस्स करदा.. तेरी लोहड़ जिथे कोई वी नी खड़दा!!
तिरंगा बना तो बस तीन रंगों से है पर नजाने कितने रंग समाए है इसमें खुशी के, गम के हर धर्म और विश्वास के प्यार, एकता और भाईचारे का और शहीदों के खून का हर प्रदेश की संस्कृति के कई मीठी भाषाओं के गरीबी, अमीरी और मध्यम वर्ग के चेहरों का और कई रंगीन भावनाएं समाए है इसमें जो तिरंगे को और भी रंगीन बना देते है