आप सब के लिए बस तीन शब्द
खुश रहो,
स्वस्थ रहो,
लिखते रहो,
❣️ ❣️-
मोहब्बत हो भी गई तो मिलेंगे नहीं
करीब आ भी गए तो महसूस होंगे नहीं
मोहब्बत कुछ ऐसी हो गई है तुमसे
हम हां कर भी दे तो तुम्हें मंज़ूर नहीं ।-
तेरे जिस्म की खूशबू से बहकने लगा हूं
तुझे बिस्तर पर महसूस करने लगा हूं
तुझे सर से पांव तक पीने लगा हूं
मैं तेरे इश्क में फ़ना होने लगा हूं-
मोहब्बत की रजाई में हम दोनों बेलिबास
जिस्म की गर्मी से हो रहे हैं तर बतर
सांसों का होंठों से आना जाना लग हुआ है
बदन की उठा पटक में बिस्तर मचल रहा है
सर्द रातें भी हमें गर्मी का एहसास दे रही हैं-
हर शब्द आपका कोहिनूर है,
हर पंक्ति आपकी आयत है,
हर बात में जज़्बात है,
हर बार लिखते नायाब हैं,
धन्य हो गया आप जैसा दोस्त पाकर,
सलामत रहे हमारी दोस्ती दिव्या जी,
स्वस्थ रहें खुश रहें लिखतीं रहें दोस्त जी,
मां करणी से दुआ है हमारी ।-
यूं तो अल्फाज़ अल्फाज़ ही होते हैं,
पर निकले जब तेरी कलम से आफताब होते हैं,
पढ़ते हैं तुझे तो लगता है आयत हो जैसे,
तेरे हर शब्द लगता है मिश्री हो जैसे,
नहीं मालूम था हमें ज़िन्दगी क्या होती है,
मिले तुमसे तो लगा जिंदगी ऐसी होती है,
क्यूं ना गुरुर करूं खुद पर,
जब दोस्त आप जैसा हो,
और क्या लिखूं ज़िन्दगी तेरे बारे में,
तुम स्वयं मां सरस्वती की आराध्या हो,
दुआ करता हूं तुम खुश रहो, स्वस्थ रहो, लिखतीं रहो.....
-
मोहब्बत की बाहों में कुछ ऐसे सिमटने लगे हम
रूहें एक होती गई और जिस्म बेलिबास होता गया ।-