सांझ हुई तेरी यादों के
सितारे निकले
अब हम भी यूं
बेसहारे निकले
मेरी गलियों में अब भी
तेरा ही शोर था
तू नहीं था पर तेरी यादों
का सिला हर ओर था
तुझे खोने का ग़म
हर दफा रहेगा
तू नहीं है पर तेरे होने का एहसास
हर दफा रहेगा
तेरी कमी मुझे आज भी
खलती है
अंदर ही अंदर ख़ुद को खोस्ती हूं
कि ये सारी मेरी ही
गलती है kzl
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