जाने कौन सा था क़र्ज़ जो चुका रहे हैं,
किसी बेवफ़ा से वफ़ा निभाए जा रहे हैं।
एक वो हैं जो तोड़ देते हैं पलभर में,
एक हम जो उनका हर वादा निभा रहे हैं।
कोई सुनवाई नहीं जब कोई समझेगा कहां,
वो जाने किस को सदाएं दिये जा रहे हैैं।
आना होता उनको तो कब के आ गए होते,
वो ना आएंगे जिनका इंतज़ार किए जा रहे हैं।
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