Prerna   (Vanshit)
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Joined 19 May 2020


Joined 19 May 2020
28 FEB AT 16:42

राब्ता उसके दिल से मेरा
फकत इतना है,
दर्द में होता है जब
बस मुझे ढूंढता है।

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22 FEB AT 18:43

तुम्हारी ख़ामोशियों को भी सुना है,
अक्सर यूं भी ख़ुद को मनाया करते हैं।
अब भी तन्हाई में अश्क बहाया करते हैं,
महफिलों में मगर वो मुस्कुराया करते हैं।

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22 FEB AT 18:26

शिकवा हो कोई तो बता दिया कीजिए,
खुद से ना किसी और से ख़फ़ा रहा कीजिए।

दिल में रखने से बातें ज़ख्म नासूर हो जाते हैं,
आप दिल को ऐसी सज़ा दिया ना कीजिए।

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8 SEP 2023 AT 15:50

कुछ ऐसे जख़्म हैं जो दिखाए नहीं जाते,
वो हादसे जो लोगों को सुनाए नहीं जाते।

दिल में ही रखने पड़ते हैं हमेशा के लिए,
दर्द हद से बढ़ जाए फिर भी बताए नहीं जाते।

खामोश निगाहों पर गिरा दिए जाते हैं परदे,
जज़्बातों के समंदर इस तरह तो छुपाए नहीं जाते।

इस तरह वो भी चले जाएंगे सोचा था कब,
कि जहां से लौटकर कभी जाने वाले नहीं आते।

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24 JUL 2023 AT 15:56

कभी दर्द परेशान करे तो याद कर लेना हमें,
गम गिरवी रखकर खुशियों का व्यापार करते हैं।

पराया तुमने ही शायद कर दिया होगा हमदम,
हम तुम्हें आज भी अपनों में शुमार करते हैं।

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18 JUL 2023 AT 23:31

मुस्कुराने की वजह मिलकर आओ ढूंढे सभी,
जिंदगी है दोस्तों ग़म इससे दूर शायद ही होंगे कभी।

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18 APR 2023 AT 13:35

इन इरादों को कमज़ोर कोई कर नहीं सकता,
जो मर चुका हो पहले ही दोबारा मर नहीं सकता।

हमको जब मालूम है जाना कहां है तो फिर,
राहों की दुश्वारियों से तो दिल डर नहीं सकता।

ख़याल-ए-मंज़िल अगर खूबसूरत हो इतना,
तो फिर रास्ते में इंसान कहीं ठहर नहीं सकता।

चलो साथ मिलकर चलते हैं मंज़िल की तरफ,
कारवां के साथ चाहकर भी कोई मुकर नहीं सकता।

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13 APR 2023 AT 13:10

ज़िन्दगी के अंधेरों में एक जगता दीया है,
तूफानों में पनाह देता हुआ एक मकां है।

मुझे हौसलों की कोई कमी भी हो कैसे,
हर राह में हमसफ़र जब तलक मेरी मां है।

तुमसे मिला जीवन सलीका भी ज़िंदगी का,
मोहब्बत भी सीखी हर हुनर तुमसे ही मिला है।

हो उम्र लंबी खुशियों से भरी हर सुबह,
तुम्हारे लिए हर दिन मेरे दिल की ये दुआ है।

Happy Birthday Mumma♥️

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11 APR 2023 AT 22:34

आज से बेहतर कल होने की ज़िद्द है,
खूबसूरत ख़्याल पिरोने की ज़िद्द है।

हमें क्या लेना कोई किसी भी राह चले,
हमको तो सही राहों पर ही होने की ज़िद्द है।

ख़ार हों राहों में कि अंगारों की तपिश,
हमको तो बस मंजिलों को पाने की ज़िद्द है।

क्या अंजाम की परवाह जब निकल ही पड़े हैं,
हर ख़्याल से परे हमें तो कुछ होने की ज़िद्द है।

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14 MAR 2023 AT 12:53

दर्द से तेरे कभी बेखबर नहीं हैं,
बेसबर हैं लेकिन वो बेक़दर नहीं हैं।
नाराज़गी शायद जायज़ है उनकी,
बेदर्द भी हों वो ऐसा मगर नहीं है।

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