काश लौट पाना आसान होता
तो लौट जाती
स्याही कलम में
काजल डिब्बी में
फसलें खेतो में
और
ब्याही बेटियां मायके में-
बेटियाँ आखिर हैं क्या ?
माँ अम्बे का अदृश्य अवतार होती हैं बेटियाँ|
माँ लक्ष्मी का प्रतिरूप होती हैं बेटियाँ|
रक्षाबंधन की रौनक होती हैं बेटियाँ|
नवरात्रो की आराधना होती हैं बेटियाँ|
होली के रंग की तरह होती हैं बेटियाँ|
दिपावली का दिया होती हैं बेटियाँ|
वृक्ष की छाँव की तरह होती हैं बेटियाँ|
बारिश की बुंद होती हैं बेटियाँ |
माँ - बाप की जान होती हैं बेटियाँ|
आँगन की रौनक होती हैं बेटियाँ|
( पुरा पढे़ अनुशीर्षक में )
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BETI ABHISHAAP NAHI
BETI ABHIMAAN HAI!
Jis pita ne puri zindagi
garibi me bitaya ushke sar ka tajj hai.
Ajj uttri wey apne lal batti wali gadi se
Or pair chuu kr pranam kiya
ush insaan ko jisne puri
zindagi ushke sath chala.
Wey jab bhi giri ,ushke pita ne ushe uthaya.
Maa bin pali voh nanhi si bachchi
Jishke adaar me jhukta yeh pura samaj hai.
Beti abhishaap nhi, beti abhiman hai.
Bachpan me kitabe
or garibi ka bhar kya uthaya.
Ab samaj ki parishaniyo
ke agee datt kr khadi wey chattan hai.
Ankho me badlav ki chingari
or kadmo me hausla bemishaal hai.
Beti abhishaap nhi abhiman hai.-
अगर आपको है बेटी तो,
अभिमान करो शर्म से मत झुको....
कन्यादान का सौभाग्य,
हर किसी के नसीब में नहीं होता...-
बेटियाँ !✒
सिर्फ हक जताने के लिए नही ।
हक दिलाने के लिए भी होती हैं बेटियाँ !
यूँ ही किसी के साथ बाँधने के लिए नही !
किसी का साथ निभाने के लिए भी होती हैं बेटियाँ!
माँ - पापा पर बोझ बनने के लिए नही!
उनका बोझ उठाने के लिए भी होती हैं बेटियाँ!
सिर्फ इज्जत देने के लिए नही !
इज्जत पाने की हकदार भी होती हैं बेटियाँ !
किसी दूसरे की जिंदगी सवाँरने के लिए नही !
खुद की भी जिंदगी जीने के लिए होती हैं बेटियाँ !
Daughters' d@¥-
समाज और परिवार की इज्जत का
सारा ठेका बेटियों के हाथ में और
बेटों के हाथ में चरस गांजा हुक्का
इन लोगों का सम्मान बढ़ा देता है l
क्या समाज है l👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
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अलौकिक दिव्य ज्योति सी जलेगी बेटिया
खुद को तपा तपा के फिर चमकेगी बेटिया
कर्म पथ पे पढ़ पढ़ के अपना परचम लहरायेगी
फिर कुंदन सी खुद को चमका जायेगी
जिस गुलशन को उसने सदियों से है सवारा
फिर उसी गुलशन मे महक बिखेरेगी बेटिया
नाप लेगी अब ये पूरा का पूरा आसमाँ ये बेटिया
पंख को अपने फैला अब उड़ेगी बेटिया
उचाईयो की हर सीढ़िया ये चढ़ेगी
खुद को निखार के एक नया इतिहास रचेगी
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जो होती बाबा मैं तुम्हरी लाड़ो
बन राजकुमारी इतराती
हर पल बिखरते मुस्कानों के मोती
अखियाँ न झर झर नीर बहाती
खूब लिखा है भाग्य विधाता
गजब लेखनी तेरी
मुझसे ही रौशन घर चौबारे
पर मेरी दुनिया निपट अँधेरी
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