उसने बड़ी सहजता से स्वीकार कर लिया
अपने से दुगुने उम्र केआदमी से विवाह करना
कल रात सुना था उसने की
बाबू मां से कह रहे थे
" बड़े लोग हैं मेरा सारा कर्जा माफ कर देंगे"-
17march 🍰🎂🎂🎂
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काश लौट पाना आसान होता
तो लौट जाती
स्याही कलम में
काजल डिब्बी में
फसलें खेतो में
और
ब्याही बेटियां मायके में-
मैं कैसे कह दूं कि
" मर्द होना आसान है"
मैने देखा ही नहीं कभी
अपने पिता को अपना दर्द बांटते हुए-
"खुद ही" को खुदा माना
"खुद ही"सजदा किया
दिल टूटने का तो सवाल ही
नहीं पैदा होता साहेब
हमने "खुद ही " से इश्क़ किया
-
ना देख तू खुद को दुनिया की नजरो से
ना समझ की तू सुंदरता की मूरत नहीं
जिसे होनी होगी मोहब्बत तुझसे खुद हो जाएगी
उसके लिए तेरी सूरत का खूबसूरत होना
जरूरी नहीं-
मैंने देखा है ज़माने को एक जमाना होते
उड़ती खबरों को पुराना होते
क्यूं है उदास तू एक नाकामयाबी से
मैंने देखा हैं खंडहर को फिर आशियांना होते-
वो कभी ख़्वाब नहीं देखती थी राजुकमारो के
मालूम उसे भी था राजकुमार केवल राजकुमारीयो को मिलते है
वो आम सी लड़की थी उसे तलाश थी किसी साधारण
व्यक्ति की
जिसके साथ वो कदम से कदम मिला कर चल सकें-
एक दौर बीत गया मुझे ये अहसास होने में
की कुछ रिश्ते फक्त मेरी तरफ से थे-