बुरे वक्त से डर नहीं
लगता हैं अब तो लोगों,
के बरताओं कब बदल
जाएं इससे डर लगता
हैं...-
Sun Ae Jaan-E-Jigar,,,,,
Mere Bure Bartaav Ki Na Kar Itni Fikar...
Gusse Me Hoti Hu To Bol Deti Hu Kuch Bhi,,
Par Aisa Nahi Ke Hai Nahi Teri Qadar...-
सब तो जुड़े हुए हैं हमसे
फ़िर ये बिखराव कैसा है?
क्यों है इतना तुफ़ान मचा?
रिश्तों में टकराव कैसा है?
क्यों मन में सुकून नहीं है?
जाने किस बात की उलझन रहती है?
क्यों ख़ुद से रूठ जाते हैं हम?
क्यों ख़ुद से ही अनबन रहती है?
जब लोग मेरे अपने हैं
तो परायों सा ये बर्ताव कैसा है?
जो मोहब्बत में नफा-नुकसान नहीं देखा जाता,
तो हमारी बारी में ये मोलभाव कैसा है?
वादा था कि कभी बदलेंगे नहीं वो
तो फ़िर ऐ दिल ये बदलाव कैसा है?-
हर चिज़ से वाकिफ हूँ, हर चिज़ कि खबर है,
पर ईस ईल्म कि तबदिली बरताव में नही होती-
बरताव बुरा हो रहा है मेरे साथ , मेरे अच्छे बरताव के बाद भी,,,,
गुफ्तगू-मुलाकातें तरोताजा करती है रिश्तों को,,दुर्लभ हो गया है अब साथ भी
साथ रहता हूं तो अच्छा व्यवहार ,, बदले हुए लगते हैं वैसे,,,
यहीं कारण है मेरे अकेलपन का,, क्यों करू कॉल,क्यू करू बात भी
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बुरा बुरे-सा बर्ताव
कब तक करेगा
जब तक बुरा है तब तक करेगा
एक दिन बुरा उसे भी लगेगा
जिस दिन बुरा उसे
ख़ुद भी बुरा लगेगा-
गीत तो गाना
कोयल का बरताव है
बात तो करना
इंसान का बरताव है
मौत तो देना
ज़िन्दगी का बरताव है
साथ तो होना
प्यार का वादा है
बस उस पर हमे
भरोसा ज़्यादा है
जो भी हो बरताव
ना बदलेगा वादा ।
- Varun
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आज सुबह धूप ने कुछ तिखा-सा बर्ताव किया, मानों तुझसे मिलकर आईं हैं।
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Ye jo tumhare dhup chhav jaise badlte bartaav hi na ab mujhe kisi or pe bhi vishwas krne se rok dete hai...
ये जो तुम्हारे धुप छाव जैसे बदलते बरताव है ना
अब मुझे किसी और पे भी विश्वास करने से रोक देते है।-
Veeran Tere Bin Mujhko Ye Shaam-o-Sehar Lagta Hai
Tera Gussa Meri Jaan Mujhko Zaher Lagta Hai.
Tera Wo Lehza Jaise Koi Toofani Qaher Lagta Hai.
Sun Ae Mere Hamnashee'n Shikayte Tujhse Laakh Sahi
Mere Maahroo Teri Bemurawwati Bhi Sir Aankho Pe Meri
Teri Berukhi Se Nahi Tere Gusse Se Dar Lagta Hai..
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