Dhiraj Pachpor   (Dhiraj ~ अहल दिल🕯️| Enlightened)
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Joined 24 March 2020


Joined 24 March 2020
24 FEB 2023 AT 15:11

एक तनहा फूल था खामोश सहरा में,
चाहत में उसकी हम सहरा में घर बसा बैठे।

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24 FEB 2023 AT 14:54

तेरा नाम ही रूह को रूहानियत देती है,
तेरी यादों में हर लम्हा रुह आबाद रहती है।

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22 FEB 2023 AT 10:40

परेशानी का सिलसिला था के जारी रहा,
दर्द के समंदर में भीगी हुई ज़िंदगी थी,
तेरा साया मिल गया तो फिर रौशनी आ गई,
तेरी रहमत से आज हम सहरा से गुज़र गए।

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21 FEB 2023 AT 11:39

जिंदगी बीत रही यूंही लम्हा-लम्हा करके,
समंदर सुख रहा यूंही कतरा-कतरा करके।

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21 FEB 2023 AT 11:30

सारी दुनिया के लिए बीत रही है वक़्त की रेत,
मगर मेरी ज़िन्दगी रुकी है तेरी आख़िरी मुलाक़ात के लम्हे पर।

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21 FEB 2023 AT 11:20

खुली आँखों से देखूँ तुम्हे....या बंद आँखों में बसा लूँ,

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21 FEB 2023 AT 10:50

तेरी यादों से है जुडी हर सांस मेरी,
तेरी सांसों से अब है वाबस्ता हर सांस मेरी।


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20 FEB 2023 AT 14:29

राह-ए-तमाम होने की दुआ में आया हूँ,
दर-ए-कमाल पर मेरे मुर्शिद, दरवाज़ा खोल दीजिए।

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20 FEB 2023 AT 14:18

तेरी तलाश मे सफर जारी था मुद्दातो से मेरे मुर्शिद
आज जाके दरबार-ए-मोहब्बत के दर पर आया हू

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20 FEB 2023 AT 14:02

मुझे लिखना नहीं आता,
मैं शायर नहीं।
बस डूब गया गहराई में इतना,
कि लफ़्ज़ों के सिप मिल गए।

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