Dhiraj Pachpor   (Dhiraj ~ अहल दिल🕯️| Enlightened)
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Joined 24 March 2020


Joined 24 March 2020
9 NOV 2024 AT 13:59

थक गई रूह भी अब सफर में मेरे,
कुछ तो कमी थी इस दिल के असर में मेरे।

ख़्वाब सारे बिखरे यूं राहों में कहीं,
डूब गए अरमां भी इस ज़हर में मेरे।

कभी था जुनून, कभी थी मोहब्बत की बात
अब वो होस्ले ना रहे इस शरर में मेरे।

अब न आवाज़ दो, न पुकारो मुझे,
खो गया हूँ मैं खुद ही इस असर में मेरे।

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18 SEP 2024 AT 14:06

अखंड वाहो नाम अंतरी,
अविरत वाहे नर्मदेपरी।
ओळखावी काळाची गती,
क्षण न घालवावा ओंझडीतून।

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18 SEP 2024 AT 3:47

लाभला संतांचा वारसा,
जन्मोजन्मांतरीचा साठा ।
योगभ्रष्ट ते योगी,
पूर्ण व्हावा प्रवास हा ।।

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24 FEB 2023 AT 15:11

एक तनहा फूल था खामोश सहरा में,
चाहत में उसकी हम सहरा में घर बसा बैठे।

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24 FEB 2023 AT 14:54

तेरा नाम ही रूह को रूहानियत देती है,
तेरी यादों में हर लम्हा रुह आबाद रहती है।

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22 FEB 2023 AT 10:40

परेशानी का सिलसिला था के जारी रहा,
दर्द के समंदर में भीगी हुई ज़िंदगी थी,
तेरा साया मिल गया तो फिर रौशनी आ गई,
तेरी रहमत से आज हम सहरा से गुज़र गए।

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21 FEB 2023 AT 11:39

जिंदगी बीत रही यूंही लम्हा-लम्हा करके,
समंदर सुख रहा यूंही कतरा-कतरा करके।

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21 FEB 2023 AT 11:30

सारी दुनिया के लिए बीत रही है वक़्त की रेत,
मगर मेरी ज़िन्दगी रुकी है तेरी आख़िरी मुलाक़ात के लम्हे पर।

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21 FEB 2023 AT 11:20

खुली आँखों से देखूँ तुम्हे....या बंद आँखों में बसा लूँ,

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21 FEB 2023 AT 10:50

तेरी यादों से है जुडी हर सांस मेरी,
तेरी सांसों से अब है वाबस्ता हर सांस मेरी।


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