एक तनहा फूल था खामोश सहरा में,चाहत में उसकी हम सहरा में घर बसा बैठे। -
एक तनहा फूल था खामोश सहरा में,चाहत में उसकी हम सहरा में घर बसा बैठे।
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तेरा नाम ही रूह को रूहानियत देती है, तेरी यादों में हर लम्हा रुह आबाद रहती है। -
तेरा नाम ही रूह को रूहानियत देती है, तेरी यादों में हर लम्हा रुह आबाद रहती है।
परेशानी का सिलसिला था के जारी रहा, दर्द के समंदर में भीगी हुई ज़िंदगी थी, तेरा साया मिल गया तो फिर रौशनी आ गई, तेरी रहमत से आज हम सहरा से गुज़र गए। -
परेशानी का सिलसिला था के जारी रहा, दर्द के समंदर में भीगी हुई ज़िंदगी थी, तेरा साया मिल गया तो फिर रौशनी आ गई, तेरी रहमत से आज हम सहरा से गुज़र गए।
जिंदगी बीत रही यूंही लम्हा-लम्हा करके,समंदर सुख रहा यूंही कतरा-कतरा करके। -
जिंदगी बीत रही यूंही लम्हा-लम्हा करके,समंदर सुख रहा यूंही कतरा-कतरा करके।
सारी दुनिया के लिए बीत रही है वक़्त की रेत, मगर मेरी ज़िन्दगी रुकी है तेरी आख़िरी मुलाक़ात के लम्हे पर। -
सारी दुनिया के लिए बीत रही है वक़्त की रेत, मगर मेरी ज़िन्दगी रुकी है तेरी आख़िरी मुलाक़ात के लम्हे पर।
खुली आँखों से देखूँ तुम्हे....या बंद आँखों में बसा लूँ, -
खुली आँखों से देखूँ तुम्हे....या बंद आँखों में बसा लूँ,
तेरी यादों से है जुडी हर सांस मेरी, तेरी सांसों से अब है वाबस्ता हर सांस मेरी। -
तेरी यादों से है जुडी हर सांस मेरी, तेरी सांसों से अब है वाबस्ता हर सांस मेरी।
राह-ए-तमाम होने की दुआ में आया हूँ, दर-ए-कमाल पर मेरे मुर्शिद, दरवाज़ा खोल दीजिए। -
राह-ए-तमाम होने की दुआ में आया हूँ, दर-ए-कमाल पर मेरे मुर्शिद, दरवाज़ा खोल दीजिए।
तेरी तलाश मे सफर जारी था मुद्दातो से मेरे मुर्शिदआज जाके दरबार-ए-मोहब्बत के दर पर आया हू -
तेरी तलाश मे सफर जारी था मुद्दातो से मेरे मुर्शिदआज जाके दरबार-ए-मोहब्बत के दर पर आया हू
मुझे लिखना नहीं आता, मैं शायर नहीं।बस डूब गया गहराई में इतना, कि लफ़्ज़ों के सिप मिल गए। -
मुझे लिखना नहीं आता, मैं शायर नहीं।बस डूब गया गहराई में इतना, कि लफ़्ज़ों के सिप मिल गए।