आज हमने पूरा दिन उन्हें याद किया,
जो मतलबी बन हमें छोड़ चले गए।
यादें कितनी भी पास हो,
आँखों में आँसू लिए हम जिंदा लाश बन गए।।-
Jb se padhi h ye nazar tujh pr ,
teri hr ek nazar ko tarsi h ...
tu kya jaaney in nazrou ko ,
Jisme hr pal teri yaadon ki barsi h ...-
अंगुली पकड़ी थी जब मैंने,
हर रास्ता आसान हुआ।
जब से अंगुली छोड़ी है आपने,
कदम कदम पे ठोकरें खाईं।
खुद ही संभला,खुद ही उठा,
थामने वाले हाथ ना रहे।
पापा जबसे आप ना रहे।-
फैसला आसान ना था वतन की खातिर अपनों से बिछड़ना
दिल में हज़ारों अरमानो को बीच राह में कुचल कर देश के लिए जान की फ़िक्र छोड़ कर अपनों को हमेशा के लिए अलविदा कहना-
दिन बीते, महीने बीते, बीत गया पूरा साल !!
न्याय को फिर भी तरसते हैं, करोड़ों दिलों के सवाल !!
इस नायक के जीवनदान ने, कितने लोगों को ऊपर उठाया !
मेरी भी देखो सूखी कलम में, पुन: स्याही का संचार कराया !
अमिट-अमर इस हस्ती को, अन्यायी कैसे मिटा पायेंगे!
घड़ा पाप का भर गया है पूरा, अब सीधे नरक ही जायेंगे !!
अनगिनत शब्द भी कम पड़े, ऐसी महान शक्सियत है इसकी!!
शायद कहीं से लौटके आये.. इस आहट की, हसरत है सबकी !!-
नानी तेरी बहुत याद आती है जब भी घर लौटता हूँ
क्युकी तू पूछती थी कैसा है तु खाया की नही,
नानी तेरी बहुत याद आती है जब खाने बैठता हूँ
क्युकि तेरे हाथो के आलू पराठे सेवई नही मिलता
नानी तेरी बहुत याद आती है जब मै सोने जाता हूँ
क्युकी तेरी कहानियाँ नही सुन पाता हूँ
नानी तेरी बहुत याद आती है जब मै रोता हूँ
क्युकी कोई चुप कराने नही आता है
नानी तेरी बहुत याद आती हैं जब मै गलती करता हूँ
क्युकी कोई समझाने नही आता हैं
नानी तुम बहुत याद आती हो बहुत याद आती हो-
आज तुम्हारी बरसी लगी
तुने मुस्कुराहट छोड़ ज़ंजीर जो चुनी...
तेरे आत्मत्याग की कथा तो सबने मानी
तेरे अस्तित्व की कदर किसीने न जानी...
तूने राह तो बनायीं मंज़िल तक पहोंचने की
पर तेरी डोर जो रुठी वो किसी एक से ना जुडी...
आज तुम्हारी बरसी लगी...
तुने मुस्कुराहट छोड़ ज़ंजीर जो चुनी...-
किसी ग़ैर को याद कर लेते हो उनकी बरसी पे,
अपने तो याद नहीं आते जो आज ज़िंदा हैं ।-
Jb se padhi h ye nazar tuj pr,
Teri hr ek nazar ko tarsi h...
Tu ki jaaney in nazrau ko,
Jisme hr pal teri yaadon ki barsi h....
1 saal pura ho gya nani maa apko miss uu so muchhhhhh 😭-
गीली मेंहदी रोई होगी छुपकर घर के कोने में
ताजा काजल छूटा होगा चुपके-चुपके रोने में
जब बेटे की अर्थी आई होगी सूनें आँगन में
शायद दूध उतर आया होगा बूढी माँ के दामन में-