सुनो !
कहा हो यार ?
चले आओ के हमने अकेले बनारस देखा है
अस्सी पर कुल्हड़ तोड़े है
अकेले घूमे है BHU की सड़कों पर
कदमों के निशान भी छोड़े है
गंगा आरती में मेरे दांयी ओर बस एक तुम्हारी कमी रही
सब हमसे आगे निकल गए , हमारी निगाहें वही पर थमी रही
काशी के गलियों में हम अकेले भटके है
तेरे जिक्र पर दोस्तो के सामने कई बार अटके है
बनारसी पान भी मैंने अकेले खाया पर वो मिठास नही था
कोई हो रहा था तुम्हारे इंतज़ार में बनारस तुम्हे ये अहसास नही था ।
के सुनो !
जहां हो अब चले आओ , वो बनारस अब भी तुम्हारे इंतजार में है
क्या कहा मेरी बातों में झलकता है बनारस , अरे हम खुद बनारस के प्यार में है !!
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It is not just a place. It is a feeling.
From Dusk till dawn, it will continue it's healing.-
जहां आफताब में चांदनी और हवाओं में इश्क़ बहता है
उफ्फ...ये बनारस मेरे दिल में धड़कता है..!
#बनारसइजलव-
स्वर्ग अगर भ्रम है तो बनारस विश्वास है,
मोक्ष अगर दूर है तो बनारस फिर भी पास है।-
जहाँ मृत्यु ,
खुद को पाकर
मोक्ष में है बदल जाती
वो है "काशी" ... ❤
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गंगा की अविचल धारा सी
वो तटस्थ बनारस के घाटों सा
मैं रेशम का धागा कोई
वो मन्नत की दीवार सा
मैं बनारस के गलियों सी उलझी
वो अपने रास्ते चलता सीधा बंदा
मैं नुक्कड़ के चाट सी चटपटी
वो कुल्हड़ के दो घूंट चाय सा
मैं मस्तमौला बेपरवाह सी
उससे उलझनें लगी हूं
ना चाहते हुए भी क्यों
अब खुद को उससे जुड़ता पाती हूं...
मैं बेबाकी से बोलने वाली
उसके सामने शांत हो जाती हूं
गहरी सी उसकी आंखों में
न जाने हरबार क्यों खो जाती हूं...
वो आसी सा रहे अधुरा
मैं वरुणा सी अधूरी
दोनों जुड़कर बसाएंगे
पवित्र परम शहर यह वाराणसी!!-
Banaras ki galiyon mein prem ka rang hai bikhra,
Ghats par Ganga ki lehron mein prem ka jhilmila taara
Shaam ki aarti, Ganga ki lahron ka saath,
Prem ke is rang mein, Banaras ki mahima hai.
Bhagwan Shiv ke ashirwad se yahan hai pyaar hi pyar,
Banaras, prem ki kahani, pavitrata ka sansaar.-