वों रातें वों बातें,वो तेरे संग की मुलाकातें
तू मेरा मैं तेरी ,थी वो रात अंधेरी
मैं कैसे बताऊं, तुझे कैसे समझाऊं
मैं भूली नही कुछ भी, मुझे याद सब अब भी
तेरा हाथ मेरे हाथ में, तू था मेरे साथ में
तू भी गुन गुनाता ,मैं भी थी कुछ सुनाती
तुम कहते मिलना जरुरी, है बात कुछ अधुरी
जो बातें अधुरी, कर दो ना वो पूरी
साथ तुम थे मेरे, थी मैं भी साथ तुम्हारे
फिर क्यों दबाए बैठे रह गए हम, ज्जबात अपने सारे
वो रातें वो बातें,वो तेरे संग की मुलाकातें
तू मेरा मैं तेरी ,थी वो रात अंधेरी
मैं कैसे बताऊ, तुझे कैसे समझाऊं
मैं भूली नही कुछ भी मुझे याद सब अब भी
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बंद कमरे में मोहब्बत..
और दुनियां के सामने नजरें मिलना तक
गवारा ना था!!
खुद को कुर्बान कर दिया हमने उसपर..
जो हमारा होकर भी हमारा ना था!!-
धोखे वाली प्यार
और बिस्तर वाली मोहब्बत...
आजकल आम हो है है..
इन्हीं सब के चक्कर में
मोहब्बत बेचारी...
बदनाम सरेआम हो गई है!!-
हम अक्सर बांटा करते थे उससे..
कमरा..
कपड़े..
बिस्तर किताबें!!
और कभी कभी खुद को भी😊
खुशियां दुगनी हो जाती थीं..
और गम आधे❣️
फिर एक दिन अचानक
मन बंट गया..
और उसके साथ साथ
वो सब कुछ😊
जो हम बांटा करते थे
एक दूजे से😊
-
कुसूर किसे दूं...
जब चाहने का समय आया
तब चाहत बढ़ती गई..
अब पाने का समय आया तब
हालात बिगड़ गई!!-
और हम रूठ गए
ना वो मना सके
ना हम मान पाए..
ये कैसी सिलसिलों में बंध गई जिंदगी..
के तुम हमें यूं आइना दिखा गए..
कुछ जोड़े रखती है तो कुछ तोड़ देती है..
ये रास्ते यूं ही मोड़ देती है!!-
पर काला रंग इस कदर चढ़ा पड़ा है
की कोई और रंग चढ़ता ही नहीं!!-
जहां ना किसी पे विश्वास होता है
ना प्यार आता है!!
और किसी पर टूट चुके हैं हम..
इस कदर जो भी मिलता है,
उससे थी कहता है ये दिल
दूर रहना भरोसा नहीं है आप पर!!-
मुझसे वादा करो मुझे रुलाओगे नहीं..
हालात जो भी हों मुझे भुलाओगे नहीं..
छुपा के अपनी आँखो में ही रखोगे मुझ को,
दुनियां में किसी और को दिखाओगे नहीं..
और मेरे लफ्ज़ मेरे दिल की आवाज़ें हैं,
कसम खाके कहो इनको कभी जलाओगे नहीं..
चलो बस मुझे इतना ही यकीन दिला दो तुम
मुझे याद रखोगे...
मेरी यादों को अपने दिल से मिटाओगे नहीं!!-
भुला देंगे हम सारी गलतियां तुम्हारी...
तुम चले आओ ना🥺
रग रग में बसे हो तुम..
पर थोड़ा वक्त तो लगेगा ना!!-