घाटों में बसता ठाठ जहाँ
परम्पराओं रिवाज़ों का साँठ गाँठ यहाँ।।
मोक्षदायिनी जहाँ की वासी है
वो हमारी प्यारी काशी है।।
सन्तों का है बसेरा जहाँ
अड़भंगियों का भी है डेरा यहाँ।।
बाबा भोले के साथ अन्नपूर्णा जहाँ विराजी हैं
वो हमारी प्यारी काशी है।।
हैं धर्मों का सारा ज्ञान जहाँ
अपनी संस्कृति का भी है सम्मान यहाँ।।
सात सुरों की जहाँ अद्भुत नक्कासी है
वो हमारी प्यारी काशी है।।
मोक्ष का चलता कारोबार जहाँ
अमरत्व का भी है सार यहाँ
कोतवाल भैरव की जहाँ कृपा सी है
वो हमारी प्यारी काशी है।।
जन्म लिया कबिरा ने जहाँ
ज्ञान दिया बुध्दा ने यहाँ।।
साहित्य की जो सुन्दर झाँकी है
वो हमारी प्यारी काशी है।।
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