Is Roz Koi Mujhse Bade " Adab - O - Gaur" Se Mil Raha Hai
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Dekh Badan Mitti Ka Mujhse Khayaal Rakhne Ko Kahe Raha Hai-
"अताउल्लाह खान इशाखेल्वी" साहब
"इश्क़ को दर्द -ए सर कहने वालो सुनो
कुछ भी हो हमने ये 'दर्द -ए-सर' ले लिया..
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वो 'निगाहों' से बच कर कहा जाएंगे
अब उनके मोहल्ले मे घर ले लिया"-
"अताउल्लाह खान इशाखेल्वी" साहब
"इधर ज़िन्दगी का जनाज़ा उठेगा
उधर ज़िन्दगी उनकी दुल्हन बनेगी"
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"मेरी मौत परियों के छुर -मट मे होंगी
जनाज़ा हसीनों के कंधो पर होगा"
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"कफ़न मेरा होगा उन्ही का दुप्पटा
बड़ी धूम से मेरी मैयत उठेगी "
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जन्मदिन विशेष -
"अताउल्लाह खान इशाखेल्वी" साहब---✒️
"हम तो तिनके चुन रहे थे आशियाने के लिए
आप से किसने कहा बिजली गिराने के लिए
हाथ थक जाएंगे क्यों पीस रहे हो मेहंदी
खून हजीर है हतेली मे लगाने के लिए "-
"अताउल्लाह खान इशाखेल्वी" साहब✒️
"आये बन -ठन के शहरे खामोशा मे वो
कब्र देखी मेरी तो कहने लगे...
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आज इतनी तो इस की तरक्की हुई
एक - बे -घर ने अच्छा सा घर ले लिया "-
इश्क को दर्द ए सर कहने वालो
हमने ये दर्द लें लिया
अब वो बच कर कहा जायेंगे
अब तो हमने उनके मोहल्ले मै घर लें लिया....-
मैंने जब भी कि अर्ज़-ए-तमन्ना, ज़ुल्फ की तरह बल खा के बोले,
ऐसे आशिक़ को सूली चढ़ा दो, रहम खाने के क़ाबिल नही है
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हुस्न के खिलते फूल हमेशा बेदर्दों के हाथ बिके
और चाहत के मतवालों को धूल मिली वीरानों की,
दिल के नाज़ुक जज़्बों पर राज है सोने चांदी का
ये दुनिया क्या कीमत देगी सादा दिल इंसानों की,
#अताउल्लाह खान साहब की गजल से-
अब देख के जी घबराता है, सावन की सुहानी रातों को ,
पिया छोड़ गए दिल तोड़ गए, अब आग लगे बरसातों को
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यूँ प्यार की कसमे खा कर, क्यूँ झूठी तसल्ली देते हो
बस रहने दो हम जान गए, सरकार तुम्हारी बातों को
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अब काम नहीं है कोई हमें, सावन की बूंदा बांदी से
आँखों में सजाए बैठे है, हम अश्कों की सौगातों को
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हम मिल कर चाँदनी रातों में, जब प्यार की बातें करते थे
क्यूँ भूल गए हो याद करो, उन प्यार भरी मुलाकातों को
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पिया छोड़ गए दिल तोड़ गए,अब आग लगे बरसातों को
अब देख के जी घबराता है, सावन की सुहानी रातों को
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