Parvez Sheikh   (❤ᴍ.ᴘᴀʀᴠᴇᴢ𝟿6❤)
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🌟♥الحمداللہ Alhamdulillah♥🌟
𝚙𝚊𝚛𝚟𝚎𝚣.𝚜𝚑𝚎𝚒𝚔𝚑.96
Joined 5 October 2019


🌟♥الحمداللہ Alhamdulillah♥🌟
𝚙𝚊𝚛𝚟𝚎𝚣.𝚜𝚑𝚎𝚒𝚔𝚑.96
Joined 5 October 2019
3 FEB 2022 AT 19:14

जल्द दे आवाज़ मुझे
मैं घर से निकलता हूँ
......................
तु पुकार मेरा नाम
मैं दरवाज़े पर मिलता हूँ

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30 DEC 2021 AT 20:33

मैं अब भी उस एक किरदार से परेशाँ- ए- हाल हूँ
वो कब का जा चुका है और मैं उसके इंतज़ार में हूँ

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4 JUN 2021 AT 19:59

तेरी हर इक बात को यक़ीन से तौला है
मैंने हर बार माना और आमीन बोला है
..................................................
मैंने सर झुका के तुझे सलाम किया
तूने बात कही मैंने एहतराम किया है
................................. 76❤
देख मैंने तेरे लिए आज क्या क्या नहीं किया
तुझसे मोहब्बत भी की और प्यार से तेरा नाम लिया है

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26 MAY 2021 AT 22:57

ज़रूरी तो नहीं हर एक "शख्स"
"मोहब्बत" में ही पाया जाय
-----------76❤
कोई "बे-वजह" मुस्कुरा दे तो
ऐसे "इल्ज़ाम" न लगाया जाय

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25 MAY 2021 AT 12:21

तेरी याद में मेरे घर की रोशनी
रातोँ में रोशन रहे जाती है

तेरे लिए " अल्फ़ाज़ " बनाता और
"मेज़" पर "किताब" खुली रहे जाती है

किसी की आवाज़ नहीं आती "कानों" तलक
हर बार तेरी "आवाज़" आती है

ख़ामोश बैठे " दर - ए - दहलीज़ " पर
बस तेरे इंतेज़ार में "दिन-ओ-रात" गुज़र जाती है

बहोत कम वक़्त मिलता है खुद के लिए तुझसे
वो भी तुझे भुलाने में "याद" तेरी बहोत आती है

"बाज़ार-ओ-बाग़" से कितने भी ख़रीद लाएं खुशबू
तेरे गेसू से गिरे गुल मेरेकमरे को खुशनुमा बना देती है

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23 MAY 2021 AT 10:40

اچھا ہوا "کسی" سے
"محبت" نا ہیی "پرویز"

ورنہ "دو گھڑ" وقت نہیں
ملتا "بات" کرنے کے لیے
❤76۔۔......۔
अच्छा हुआ "किसी" से
"मोहब्बत" ना हुयी "परवेज़"

वरना "दो घड़ी" वक़्त नहीं
मिलता "बात" करने के लिए

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16 MAY 2021 AT 2:37

दर्दों का सितम पूछते हो
तो बताते हैं
चलो बैठो
साथ रोते हैं साथ मुस्कुराते हैं

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3 MAY 2021 AT 21:25

मैं मारा गया हूँ "मोहब्बत" में
ये देखकर यूँ आवाज़ ना करो
.......................
मैं फ़िर एक अच्छा "क़िरदार" निभाऊँगा
मेरी गुज़ारिश है बस उसका कोई नाम ना लो
.......................

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1 MAY 2021 AT 22:53

"Aankhon" Ke "Isaare"

Kar ke Zara batao

...................

"Mar" Jaayenge Kisi Aur

Pe Zara "Mask" to hatao
....................

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17 APR 2021 AT 3:39

अब तुम गैर हाज़िर होते हो
फिर भी मेरे काफिले में होते हो

मौज़ूद रहते हो हर वक़्त साथ मेरे
बस आज कल थोड़ा दूर दूर रहते हो


अब कैसे करूँ बयाँ तुमको
तुम मेरे लिए कितने ख़ास होते हो

इतनी भीड़ है रास्तों पर मगर
ये नज़र तुमको ही तलाशा जैसे करती हो

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