अच्छा हुआ कि whatsapp or Telegram हिन्दी में नहीं आता
वरना Last seen "अंतिम दर्शन" हो जाता 😜-
अजीब-सा ठहराव
आ गया है जीवन में
जिस राह भी जाएँ
वो सूनसान दिखाई पड़ती है
जिस ओर भी देखें हम
शून्य ही शून्य है हर तरफ
क्या ऐसी ही थी ज़िन्दगी कभी
जैसे हैं ये मंज़र क्या वही थे
जो पल अब हैं
क्या तब भी वही थे
शायद नहीं
बदल गया है हर पल
और बदल रहा है पल-पल
नहीं रहा पहले जैसा
वो कुछ भी
जो पहले था
ठहर गई है ज़िन्दगी
एक ऐसे पड़ाव पर आकर
अंतिम श्वास को भी
अब आस नहीं है कोई
इस जीवन का भी अब
विश्वास नहीं है कोई-
तुम निष्ठुर हमको छोड़ चले
अंतिम श्वासों तक संकल्पित
सम्बन्ध सहज ही तोड़ चले
मेरी थी कोई त्रुटि अक्षम्य
या साथ दूसरा मिला रम्य
क्यूँ चुपके से मुँह मोड़ चले
जीने का लक्ष्य निचोड चले..
तुम निष्ठुर हमको छोड़ चले..-
है के जिंदगी मे एक बार तेरा दिदार हो
जिससे है मुझे इतना प्यार
उससे इस प्यार का इजहार एक बार हो
यह जो दूरियाँ है हम दोनो मे मिलों कि
वोह दूरियाँ मिटा के तु मेरे पास हो
मेरी आखरी इच्छा है कि
जिस पल मेरी मेरी जान जाए
उस पल मे तेरी बाहों कि पनाह हो
जब यह पलके बंद करू
इन पलकों मे तेरा ही अक्स हो
अगर दोबारा जन्म मिले
तो तु ही मेरा हमसफर मेरा हमराज हो-
वो सीधी सादी लडकी
Chapter 20 (अंतिम पड़ाव)
अपनी कहानी का अंतिम दौर याद है ना तुम्हें,
कुछ अजीब ही घट रहा था, खींचतान से भरपूर दिन गुजर रहे थे, प्यार का नामो-निशान ही मिट सा गया था, मैं तुझे खोना नहीं चाहता था तो अपनी कोशिशें जारी रखे हुआ था,
तुम्हें शायद वो सब लोग अच्छे लगने लगे थे जिनके बारे में तुम कभी बात भी नहीं करना चाहते थे।
खैर जो भी है ये अंतिम दौर भी गुजरा , अपने रास्ते अलग-अलग हुए, कुछ समय बहुत तकलीफ में गुजरा , सब कुछ थम सा गया था जिंदगी में, खुद को संभालने में वक्त लगा।
अब तेरी यादें रूलाति नहीं है क्योंकि याद तेरी मुझे अब आती नहीं है।
सबकुछ खो कर खुद को पा लिया है मैंने।
अब जब भी मिलना अजनबी बनकर मिलना ।
किस्से बहुत है तेरी बेवफाई के पर मैं लिखूंगा सिर्फ तेरी हसीन यादें .....-
माँ के अंतिम कुछ शब्द सुन पाते
अगर अंतिम छनो मैं उसके पास होते
बस शायद का ही तो रोना है और
तो जो भाग्य मैं है वो होना ही है-
पहली और और अंतिम बार तुम्हारे हृदय से लगना......
मेरी पहली और अंतिम इच्छा है.....-
जबसे उनपर हमारी निगरानी बढ़ी है,
जिंदगी की और भी कहानी बढ़ी है,
जिन्दा तो पहले भी थे ऐ हमसफर,
तेरे नजरों से हमारी जिंदगानी बढ़ी है,
पूछे चाँद सितारों में रौशनी कहाँ गई,
ख़बर फैलाओ जमीं पर चांदनी बढ़ी है,
महक कितनी बची हुई है इत्रों में,
फूलों की सारी खुश्बुओं की रवानी बढ़ी है,
कदम फूंक कर रखने लगा हूँ जमीं पर,
कुछ इस कदर तेरे पाँव की निशानी बढ़ी है|-
महफ़िल में ताबड़तोड़ बरसात आयी है,
फिर से वही हसीन रात आयी है,
हर तरफ जगमगाते सितारे निशब्द हैं,
लगता है जाने वाली सुबह लौट आयी है|-
ये ही आखिरी इच्छा है मेरी
बनके बादल मैं विचर जाऊँ
उड़ता फिरूँ आसमानों में
कभी इधर जाऊँ कभी उधर जाऊँ ।
पद्य कुमार'पद्माकर'-