Padam Kumar   (पद्माकर')
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Joined 30 April 2020


Joined 30 April 2020
4 JUL 2024 AT 20:08

Good morning or good night
रोजाना गुड मॉर्निंग नहीं होती लेकिन फिर भी हम गुड मॉर्निंग भेजते हैं और उधर से भी जवाब आ जाता है
लेकिन कभी कभी जव कई कई दिनों तक जवाब नहीं आता तो हमें शंका होने लगती है कि पता नहीं क्या बात है? तो गुड मॉर्निंग का मतलब ये भी है कि गुड मॉर्निंग का ज़वाब आ गया सब ठीक ठाक है विशेषकर बुजुर्गों के मामले में लेकिन जब कई दिनों तक गुड मॉर्निंग नहीं आती
तो हम सोचने लगते हैं कि लुढ़क तो नहीं गया।

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4 JUL 2024 AT 14:16

जीवन का उद्देश्य एक उचित मार्ग की तलाश है
जिसपर चलकर हम प्रकृति को जान सकें और
प्रकृति के अनुसार अपने और जीव मात्र के कष्टों का
निवारण कर सकें और ये सब सच्चा ज्ञान अर्जित करने
से ही सम्भव है।

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4 JUL 2024 AT 13:01

भारत में इतना अंध विश्वास और पाखंड है कि हर वर्ष लाखों लोग तो मन्दिरों और बदमाश बाबाओं के सत्संग
में उनकी चरणधूलि लेने के चक्कर में मर जाते हैं।

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4 JUL 2024 AT 9:42

जब हम अपने पास्ट को याद करते हैं तो हमें दुःख ही मिलता है चाहे वो समय अच्छा रहा हो या बुरा। अच्छे समय को याद करेंगे तो सोचेंगे वो कितना अच्छा टाइम
था और दुखी होंगे और जो समय बुरा था उसको याद करेंगे तो भी दुखी होंगे ये सोचकर कि वो कितना बुरा
वक्त था इसलिए कहते हैं कि पिछली बात बिसार दे आगे की सुध ले।

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4 JUL 2024 AT 9:26

प्यार करने के लिए ही टाइम कम है
फिर किसी से नफ़रत क्या करना

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3 JUL 2024 AT 9:16

Good Health

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30 JUN 2024 AT 12:23

हम भारतवासियों को नकल करने की बहुत आदत है
लेकिन कहते हैं ना कि नक़ल को भी अक्ल की ज़रूरत होती है। हमनें अंग्रेजों से भी बहुत सी बातें सीखी हैं अब खाना खाने की तकनीक को ही ले लो आजकल हमनें अपने आप खाना सर्व करने की अंग्रेजों की आदत को तो
अपना लिया है जिससे खाना ख़राब ना जाए लेकिन किसी भी प्रोग्राम में इतना खाना ख़राब होता है कि पूछो मत अगर तीन सौ आदमियों का खाना है तो पचास आदमियों का खाना तो प्लेट साफ़ करने वाली के पास जूठन में पड़ा होता है क्योंकि ये जो हमारी संग्रह करने की आदत है कि कहीं खाना कम ना पड़ जाए तो पहले प्लेट भर लो चाहे वो खाया ना जाए। हमनें अंग्रेजों की आदत तो अपना ली लेकिन उसके मक़सद को भूल गए कि खाना खराब ना जाए इससे तो अपनी पंगत मे ज़मीन पर बैठ कर खाना परोसने की परंपरा ही ठीक है वैसे परंपरा तो अंग्रेजों की भी बहुत अच्छी है पर हम उसकी भावना को नहीं समझ पाए ये सब ज्ञान की कमी है।

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27 JUN 2024 AT 13:22

जिन्दगी
कभी गिरती है
कभी संभलती है
जिन्दगी यूं ही चलती है
कभी वसंत आते हैं
कभी पतझड़ आते हैं
कभी गाड़ी रुकती सी लगती है
कभी चल निकलती है
जिन्दगी यूं ही चलती है
कभी सुख मिलता है
कभी दुख मिलता है
ये तो मौसम का मिजाज़ है
मौसम बदलता है
ये ही जीवन चक्र है
जीवन ऐसे ही चलता है।

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27 JUN 2024 AT 12:56

कहते हैं सच कहो और सुखी रहो
सच को छुपाने के लिए लाख झूठ बोलो
लेकिन सच सामने आ ही जाता है
लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि
कोई पूरी सच्चाई कभी नहीं बताता
अपने दिल से पूछकर देखो।
वो महापुरुष ही होते हैं
जिनको पूरी सच्चाई ब्यान करने
में कोई भी डर नहीं लगता।
क्या मैंने ठीक कहा?

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23 JUN 2024 AT 16:26

पर्वत शिखर से जैसे
जिन्दगी फिसल रही है
कुछ ज्यादा हो चली है
प्रगति फिसल रही है
प्रेम और भाईचारा
जैसे सिसक रहे है
लालच फरेब जैसे
कुछ चाल चल रहे है
रिश्ते और नाते
करवट बदल रहे है
मशीनों का युग है प्यारे
प्रगति का है बोलबाला
इंसानियत खो गई है
ये कैसा गड़बड़झाला




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