ना बनाओ अपनी , आँखों का तारा मुझे तुम....
तेरे आँखों के आँसू ही , बनना मंज़ूर है मुझे....
मै आपकी ज़िंदगी की , खुशी बनू या ना बनू...
पर आपके गम में , सहारा बनना मंज़ूर है मुझे.....
अल्फ़ाज़ के शक्ल में , एहसास लिखती हूँ...
मै तो पानी को भी यहाँ , प्यास लिखती हूँ....
मेरे ज़ज़्बातों से वाक़िफ़ , ये शायद कलम है मेरी....
जब भी लिखती हूँ , तेरे ख्यालात लिखती हूँ........-
9 MAY 2020 AT 12:22
12 MAY AT 15:45
कुछ लफ़्ज़ दे जाते हो तुम मुझे बुनने को,
मैं बुनती रहती हूँ... और सुबह हो जाती है।
मैं धागों की तरह लफ़्ज़ों को जोड़ती जाती हूँ,
तेरे ख्यालों की चादर हर रोज़ ओढ़ती जाती हूँ!-
6 OCT 2020 AT 15:27
मेरे दिल के मेहरमां तूं
दर्द ना जाने मेरा
इक बार नजरें तो मिला तूं
मैं हाल बंया करू मेरा-
12 SEP 2020 AT 22:41
हालात हमारे हम पर
इस तरह से जुल्म ढा रहे है
हम दर्द सुना रहे है
लोग तालियाँ बजा रहे है-
7 JUL 2022 AT 9:18
आँखों में खाबों की बिजलियाँ
चमकती है,
लबों पे अनकहे लफ्ज़
धरे हैं,
दिल में कुछ अनछुये जज़्बात
पलते हैं।-
18 OCT 2020 AT 16:44
ना जाने वो कौनसा ख्वाब है
जो रख के भूल गई
ढूंढ़ते ढूंढ़ते
सारी उम्र बीत गई
-
12 DEC 2020 AT 15:43
हथेली पर लिखी है मैने
महोब्बत के दो लफ्ज़,
बस उनमें कहीं किस्मत
ही नहीं लिखी
जो तेरे नाम को जोड़ता
मेरे नाम से।
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4 OCT 2020 AT 21:12
कुल्फ़तऐ - ए - क्लब मेरा रोता रहा
रेत का दरिया समझ वो
ना जाने क्या क्या लिखता रहा-