Aayat✨   (Alfaaz E Aayat🍁)
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Joined 10 August 2023


Joined 10 August 2023
14 HOURS AGO

जुस्तजू- आरज़ू - रू-ब-रू तू -ही -तू!
ये - हक़ीक़त- ख़्वाब - सी है,
मेरे - ख़्वाब -की - ताबीर -तू - ही- तू!

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1 MAY AT 0:08

बढ़ गयीं अब तुमसे मिलकर और भी बेताबियाँ
हम ये समझे थे कि दिल को सब्र हो आएगा।

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30 APR AT 15:00

तेरे वजूद से ही बनता है मेरी रूह का अक्स,
तू ना हो तो बिखर जाए मेरे जज़्बात का रंग।
हर साँस में महसूस होता है तेरा एहसास,
तेरे बिना अधूरा सा लगता है मेरे हर पल !!

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29 APR AT 17:55

कुछ याद आया तो हम लिखेंगे फिर कभी
इस वक़्त तो रूह बेचैन है तेरी तस्वीर देखकर।

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27 APR AT 22:15

शिफा दे मेरे मौला करम की बारिश से
ये गर्मी रोज़ रोज़ आग बहुत उगलती है।

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26 APR AT 18:02

फ़ाक़ों में नहीं हैं हम, ज़मींदार बहुत हैं,
पाया है जो ख़ज़ाना, हमने तेरे साथ का।

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25 APR AT 16:39

तासीर इश्क़ की बहुत बेहिस थी,
महसूस इश्क़ बहुत रूहानी हुआ।

जिसने न देखा कभी पलकों से मुझे,
वही ख्वाबों में मेरी निगहबानी हुआ।

लबों पे शिकवा न आया कभी,
दिल मगर रोज़ बेज़ुबानी हुआ।

जिसे समझा था बस एक अफ़साना,
वो हर साँस में इक कहानी हुआ।

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24 APR AT 10:58

बातें मीठी ज़म्ज़म सी ख़ुबरू की है,
ए दिल! आब-ए-कौसर से वुज़ू की है।

नज़रों में बसी है तेरी इक पाक सी सूरत,
हर दफ़ा सजदे में दिल की जुस्तजू की है।

लब हिले तेरे तो जैसे दुआ हो बरसी,
तूने हर बात में इबादत सी आरज़ू की है।

तेरे तसव्वुर से महक उठती है रूह मेरी,
जिस तरह गुलशन ने बारिश से गुफ्तगू की है।

तेरी ख़ामोशी भी कुछ कहती है मुझसे,
जैसे तन्हाई ने तिलावत सी हूबहू की है!

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22 APR AT 22:14

बेबसी
का
आलम
कुछ
इस
तरह है
आयत...

वो
हमारे
सामने
हैं,
मगर
पुकारा
नहीं जाता।

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21 APR AT 22:16

एक लफ़्ज़ में भी तुम्हें लिख सकते हैं...
और एक किताब भी कम पड़ जाए...
बोलो तुम्हें "दिल" लिख दें...
या दिल के आईने में पूरी "किताब"?

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