अजीब सी खामोशी है,
अजब सी ये चार दीवारें...
अजीब सी बंदगी है,
अजब सी इस रिश्ते की मुस्कान...
अजीब सी है ये नज़दीकियाँ,
अजब सी इनकी दूरियाँ...
अजीब सी है ये कश्मकश,
अजब सी ये ख़ामोश रात...
अजीब सी खामोशी है,
अजब सी ये चार दीवारें...-
Ye baal bhi kitne ajeeb hai jab chahti hu Chehare pr na aaye to bar bar aate hai.., jab chahti hu aaye to aate nhi ..bilkul us Jane pechane se ajanbii ki trh.. ......
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न किसी के करीब रहूंगा,
न किसी को करीब रखूंगा...
हर कोई समझ जाएगा कि मुझे समझना मुश्किल है,
बस सबसे खुद को इतना "अजीब" रखूंगा...-
हर शख्स ने दोहराये अपने शब्द,
पर तुम्हारे शब्दों के मायने कुछ और थे.........-
लोग भी कितने अजीब हैं,
मिट्टी का शरीर है और 'सीमेंट' का मकान चाहते हैं।-
मै सपने बुनता हूँ,
वो हकीकत बेचती है।
सीधी राह चुनता हूँ,
तो कांटे भेंट करती है।
मोहब्बत करता हूँ,
तो बेवफ़ा निकलती है।
खुश रहता हूँ,
तो एहसान समझती है।
कमाल है ज़िन्दगी तू भी!
शिकायत करने से पहले ही वक़्त बदल देती है।
मैं 'कल' को जीना चाहता हूँ
और तू रोज उसे 'आज' कर देती है!
अजीब है पर अज़ीज़ है,
कम से कम साथ मेरा आखिरी दम तक तो देती है..❤️-
Uske Dil ka mere Dil se
rishta ajeeb he,
Milo ki duriya fr bhi dhadkan
kareeb he.....
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अजीब मानसिक स्थिति बन जाती है जरुरत के समय।
अगर हमे प्यास लगी हो तो बाकी सभी को देखकर उसके पास झील का एहसास होता है।
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Is ajeeb si duniya me
Kitne ajeeb se insaan hai.
Aaj kisi se Khush hai,
To kal kisi se pareshan hai.-
अजीब हूँ थोड़ी सी,
तुम संभाल लोगे न,
कि स्लीपर में भी,
लड़खड़ा के चलती हूँ,
तुम हर बार आ कर,
मेरा हाथ थाम लोगे न,
दुप्पटा तो मुझसे,
संभाला नहीं जाता,
तुम बाकायदा साड़ी,
बांधने में मदद कर दोगे न,
अजीब हूँ थोड़ी सी,
तुम संभाल लोगें न,
आज़ाद चिरइया हूँ,
अपने पापा की यार,
तुम मेरे पर तो न काट दोगे,
कि सर् नेम नहीं बदलना,
चाहती हूँ मैं अपना,
तुम मेरे अस्तित्व के साथ,
मुझे स्वीकार लोगे न!!-