सुना है अफगानिस्तान में बर्बादी का तूफ़ान आया है
दहशत की सरकार बनाने आतंकी तालीबान आया है
अपना घर छोड़ भागने को मजबूर है आवाम वहाँ की
हँसते खेलते देश को उसने मानो कब्रिस्तान बनाया है
फिर रहे हैं दर – बदर सब जान बचाने को अपनों की
हर तरफ़ पसरा है मातम और हर कोई वहाँ घबराया है
कहीं आग की लपटें हैं तो कहीं आँसू का दरिया बहता है
बौछार गोलियों की है कहीं तो कहीं बम उसने बरसाया है
ए ख़ुदा रहम कर अब सुकून बक्श उन बच्चों को अपने
मासूम बेगुनाहों पे ये तूने आख़िर कैसा कहर बरपाया है-
27 AUG 2021 AT 15:02
10 SEP 2021 AT 12:17
दिल आज़ाद था उनका अफ़ग़ानिस्तान की तरह
हम कब्ज़ा कर बैठे बेमक़सद तालिबान की तरह-
21 AUG 2021 AT 17:48
हम कैसे झूठ कहें कि तालिबानी सोच हमारे देश में पलती नहीं है ।
भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्ला जैसे नारे क्या इस बात का सबूत नहीं है।
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25 DEC 2021 AT 10:06
शिव तो नहीं हम, फिर भी हम ने दुनिया भर के ज़हर पिए
इतनी कड़वाहट है मुँह में कैसे मीठी बात करें-
17 AUG 2021 AT 20:11
सब लोग चले गए, ये मासूम काबुल एयरपोर्ट पर छूट गया. सिर्फ अफगानिस्तान पर नहीं पूरी मानवता पर संकट है, सो कुछ कीजिए या न कीजिए पर इस त्रासदी का मज़ाक मत बनाइए
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17 AUG 2021 AT 1:07
जो अपनी मदद ख़ुद नहीं कर सकता
उसकी मदद कोई नहीं कर सकता।
(अनुशीर्षक में)-