हौसला
लाचारी किस बात की, अगर हौसले में रंग हो ।
चलो अकेले अपने दम पर, चाहे कोई भी ना संग हो ।
अपनी मदद खुद करो, बस सिखने की चाह हो।
सीख लो हर हुनर को तुम, कठिन ये कैसी राह हो।
सहारा जो बनेंगे वो, अपना फायदा भी लेंगे ना।
वो साथ छोड़ जाए, तब भी हम लड़ेंगे ना।
सुझबुझ से अगर , खुद पे भरोसे से बढ़ें।
जो फायदा उठाए कल, उन सहारों पे हम क्यूँ पड़े।
उसने भी तो सीखा है, वो कौन सा महान है।
चल पड़ूं अगर भी मैं, मेरे कदमों पे जहान है।
ऐसे सहारों का क्या करूँ, के गुलाम बन जाऊं मैं।
के जब वो साथ ना रहे, लाचार बन जाऊं मैं।
कैसे होगी मंज़िल मेरी, ये खुद मुझे है सोचना।
सर उठा चलूँ सदा, अपनी कमियों को है पीछे छोड़ना।
हटा के सारी बंदिशें, खुद को फ़तेह दिलाना है।
ये मुश्किलें क्या रोकेगी, मुझे तो आगे जाना है।
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