अभी तो रखा है कदम तुमने जवानी में
अभी तो और मज़ा आएगा कहानी में...-
Baat mushayre ki nhi
Yaha har ek lafz pr safai nazar aati hai... 🖤-
बात आँख से
समझने का दावा
ना कर ,
हम इसी शौक़ में
बिनाई गवा बैठे है ,
Shayar abrar kashif
Saheb-
दिन में मिलते कही
रात जरूरी थी क्या ,
बेनतीजा ये मुलाक़ात जरूरी थी क्या ,
मुझ से कहेते तो तुम्हे आँखों मे बुला लेता ,
भीगने के लिये बरसात जरूरी थी क्या ,
Shayar./.Abrar kashif saheb-
तेरी ही आंख से देखा था हर ख्वाब मेने।
फिर जो तूने ना समझा तो समझ मुझको भी ना आया में-
Na karna yunh ruswa Hume
Aapko bhut shiddat se chaha hai
Karke hume rushwa aapne
Apni Zindagii me sirf gam
hi to paaya hai..
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Tere bichhade ka gam seh nahi sakte
Mehfil me hum kuch keh nhi sakte
Humare girte aansuo ko
pakad kar to dekho
Wo bhi kahenge hum aapke
bin reh nhi sakte..-
एक मैं हूं जो हर रोज़ तेरी राह तगता हूं,
एक तू हैं जो मेरे मरने का इंतज़ार करता हैं,
और तेरे बिना ज़िंदगी गुजर रही हैं अंधकार में मेरी,
एक तू हैं जो मेरे नाम का लोगों में मजाक करता हैं.
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धूप भी तेज़ हुयी मौसमे बरसात के साथ
कुछ नए ज़ख़्म मिले लुत्फ़े मुलाक़ात के साथ
ग़ज़ल तुम किसी और की हो जाओ मगर ध्यान रहे
एक जनाज़ा भी निकल सकता है बारात के साथ
जनाब अबरार काशिफ़-