Siddiqui Shehzada   (Mr.Ahmed)
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Mr Ahmed
Joined 7 December 2019


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Mr Ahmed
Joined 7 December 2019
10 JAN 2022 AT 14:12

*क्यूँ हमको सुनाते हो जहन्नुम के फ़साने।*

*इस दौर में जीने की सज़ा कम तो नहीं।।*

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8 JAN 2022 AT 23:30

सोचता हूँ कि उसकी याद आखिर
अब किसे रात भर जगाती है

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30 DEC 2021 AT 14:46

जिस शेय पर वो उंगली रखदे उसको वो दिलवानी है।

उसकी खुशियां सबसे अव्वल सस्ता महँगा एक तरफ।

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25 DEC 2021 AT 7:51

वक़्त लम्हा लम्हा कर सासे नोचता रहा....
ज़िंदगी गुजर गई मैं कल कि सोचता रहा।।

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24 DEC 2021 AT 12:48

तुम दरख्तो को कहां आता है हिजरत करना

हम परिंदे है वतन छोड़ कर जा सकते है

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31 MAY 2020 AT 19:49

तेरे लगाए हुए मास्क लगाना चाहता हूँ
मेरी ख़्वाहिश देख मैं क्या चाहता हूँ

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27 MAY 2020 AT 9:04

हर शख़्स थका थका सा लगता है।
जिंदा है मगर मरा मरा सा लगता है।
ना शोर,साफ़ हवा और नींद भरपूर
फिर भी रातों का जगा सा लगता है।
वही सड़कें वही गलियां वही बाज़ार
पुराना शहर क्यों नया सा लगता है।
कुछ लोगों की लाचारीयां है ऐसी भी।
सूखी रोटी दे वह ख़ुदा सा लगता है।
ज़मी पर गुनाहों का बोझ बड़ा होगा
मौत का ख़ोफ़ उसकी सजा लगता है।

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26 MAY 2020 AT 15:08

ना गले मिले, ना गिला किया, ना अपनो से मुलाकात हुई
मैं ये किस तरह से मानू जो गुजर गयी वो ईद थी 🌙🌙

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26 MAY 2020 AT 7:26

मिल लेंगे हम, अपने ही गले में बाहें डाल कर....
ऐ भूले हुए शख़्स.... तुझे ईद मुबारक..

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22 MAY 2020 AT 21:13

हमे बेवफा कहते हो सुन लो।।
अम्मी कहती है जो कहता है वही होता है...

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