शैज खान   (प्रिंस ऑफ़ मेलघाट)
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I Am #strong !! #Because !! #Depend !! On #ALLAH !!!
Joined 2 March 2018


I Am #strong !! #Because !! #Depend !! On #ALLAH !!!
Joined 2 March 2018
29 JUN 2022 AT 9:18

سنا ہے بڑا تکبر ہے تم کو کلامِ عشق میں
ٹکراؤ کبھی ہم سے غرور توڑ ڈالیں گے.

सुना है बड़ा तकब्बुर् है तुमको कलामे इश्क़ मे,
टकराओ कभी हमसे गुरुर तोड़ डालेंगे..!

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14 MAY 2022 AT 19:22

किसी ने भेज कर काग़ज़ की कश्ती
बुलाया है समुंदर पार मुझ को ☺💞

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8 MAY 2022 AT 19:26

आरज़ू जाने भी कैसे कोई रुतबा माँ का,
रूए जन्नत से हसीं लगता है तलवा माँ का।

ख़ुद तो भूखी है खिलाती है मगर बच्चों को,
मैं तो क़ुरबान गया देख के फ़ाक़ा मां का।

भूल बैठा वो जवां हो के सभी एहसानात,
जो कभी ओढ़ के सोता था दुपट्टा माँ का।

सारी उलझन मेरी पल भर में सुलझ जाती है,
सामने जब मेरे आ जाता है चेहरा मां का।

दिन में तारे नज़र आ जाते हैं उनको अक्सर,
आरज़ू जिनके सरों पर नहीं साया मां का।

-: अशरफ़ सुलतानपुरी।

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4 MAY 2022 AT 0:00

ईद फीकी लग रही है इश्क की तासीर भेजो

ग़ज़ल आओ गले मिलो, या लिबासे ईद में तस्वीर भेजो..😊

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6 APR 2022 AT 19:39

हदीस में है कि रमज़ान में मोमिन का रिज़्क़ बढा दिया जाता है (मिश्कात 1965)

नबीﷺ का फरमान हक़ है किसी तजुर्बे का मोहताज नहीं लेकिन अगर कोई चाहे तो गौर करे रमज़ान में इनकम वही रहती है जो आम महीनों में होती है लेकिन इस मुबारक महीने में दस्तरख्वान पर वो वो चीजें मौजूद होती हैं जो साल भर में कभी नहीं दिखती दस्तरख्वान पर, किस कदर वसीअ होता है दस्तरख्वान इस मुबारक महीने में उतनी ही आमदनी में जितनी हमेशा रहती है😍

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28 MAR 2022 AT 17:31

चाय 👉☕ पीनी और पिलानी पड़ती है,
किसी बहाने बात बढ़ानी पड़ती है,

जो एक शेर से बात पे गौर नही करती
ग़ज़ल को पूरी ग़ज़ल सुननी पड़ती है ❤️❤️

#शैज़_ग़ज़ल

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9 MAR 2022 AT 16:32

"हाल"क्या कहू लग गई है "नजर" तुम्हारी....।।

ग़ज़ल तुम्हारी थी.. इसलिऐ अब तक "नजर" नही उतारी..💕।।

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17 FEB 2022 AT 20:40

चलो एक दूसरे मे खो जाए

एक कप चाय आधी आधी हो जाए

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17 FEB 2022 AT 20:37

ग़ज़ल फोन करो कभी, तुम्हारी बातों को ऐसे सुनेंगे.

जैसे सुनते है लोग कव्वाली नुसरत फतेह अली खान की....!!

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14 FEB 2022 AT 11:42

इस तअल्लुक मे नहीं मुमकिन तलाक,
ये मोह्हबत है "ग़ज़ल", कोई शादी नहीं !

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