मोहब्बत के शोर की जगह
मुझे उसकी नफरत में सुकून मिला-
न तारे न चाँद न उनका आसमां चाहिए
मुझको तो बस मेरी मोहब्बत की सलामती चाहिये-
दिल कीं कफ़स से करूँ रिहा फिर लौट आते हैं
क्या यादों के परिंदों का कोई आसमाँ नहीं होता
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"मोहब्बत का शहर"
सोचता हूँ की अब मोह्हबत का नया शहर बनाया जाय,
मैं और तुम से अलग, अब एक हमारा घर बनाया जाय।
बेनकाब होंगे हर वो दरिंदे जिसके जहन में बेवफाई हो,
इन कांटों को निकाल फेंक ,सुहाना डगर बनाया जाय।
देख लिया ज़माने की सारी ज़िद्दी बन्दिशों का नतीजा,
सच्चे प्यार के परिन्दों को ,खुले आसमान उड़ाया जाय।
महबूब के जुल्फों की घटाओं से सींचकर मोहब्बत को,
इश्क़ के इस बाग में , बस प्यार के फूल खिलाया जाय।
चलता होगा नफरतों का कारोबार फरेबियों के शहर में,
सोचता हूँ उनके इंतजार में,रात को दोपहर बनाया जाय।-
मोहब्बत ना मिले तो बस दिल टूटता है
और अगर
इज़्ज़त चली जाए तो आसमान टूटता है
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Udna chata hu aasma me panchi bn kr
Iss duniya ke sare jhamele se nikal kr
Dekhna chata hu kitna h hoosla khud ke dum pr
Iss baar maine Mehnat ki h jum kr-
बारिश ने फ़ैला दी है जमीं पे मस्तियां,
पेड़ और पौधे भी ख़ुशी से झूम रहे हैं यहां ।
हवाओं में खुशबू बिखेर रही हैं फूल और कलियां,
धूप और बादल भी खेल रहे लुकाछिपी का खेल यहां।
मौसम भी हो गया है यहां मादक और सुहावना,
पी के फूलों का रस इतरा रहे है भवरें और तितलियां।
इंद्रधनुष भी दे रहा है सलामी आसमां में,
बोल रहा है डूब जाओ प्रकृति के आनंद में।।
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इश्क का दिल में ऐसा तुफान दे गयें
तलब थी जमीं कि वो आसमान दे गयें
सारे गमों का बोझ दामन में डाल कर
बस हमेशा मुस्कुराने का पैग़ाम दे गयें-
इस बेपनाह मुहब्बत का क्या करूँ
जो दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं
शराब का नशा भी फीका पड़ गया
तुम्हारी मुहब्बत के नशे के आगे
जाने हमारी ज़िंदगी इस नशे में
मदहोश हो कर चुर हो जाएगी
या ले कर कुछ सपनो और यादो
के साथ संग ले जायेगी ।।
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