Aabto sapneme bhi Teri Aahatein aisi aane lagi Nind se jaagne ki aas hi nehi hoti Zindagi aisehi Sapne me beet jaye To jaagke bhikhar neka khwaf nehi hoti
किसी सूनी, सांवली-सी सांझ तेरे दीपालोकित कक्ष में दबे पांव किसी छाया की तरह हौले से आऊंगी मैं उस मध्दिम-से प्रकाश में डूब कर तेरी आंखो की गहराइयों में उतर जाऊंगी तेरे हृदय के तल तक तेरी पलकों पर नशीली नींद की तरह किसी सुरमयी ख्याव की तरह तेरे गले में बाहें डाल तुझसे लिपट जाऊंगी तुम उस सांझ मुझे महसूस करोगे ना
निशा की शान्त आहटों में, इंतजार उस पल का करती राहें, जिस वक्त हो सच में शांति, और उन पर कदमों की हलचल भी नीचे पड़े सूखे पत्तों को जागृत करने में असमर्थ हो।