मैं
लिख देना चाहती हूँ
अपनी आखिरी कविता
अपने कम्पित हाथों से
और मेरे व्यथित हृदय से
उससे पहले
कि अश्रपूरित होते
मेरे नेत्रों से
धुंधले पड़ने लगे
मेरे 'शब्द'
मैं गढ़ देना चाहती हूँ
एक आखिरी कविता
उससे पहले
कि मेरी वेदना के
इस समुद्र
मैं लूँ एक विश्राम
चिर समय के लिए,
मैं विलीन कर देना
चाहती हूँ
स्वयं को 'शब्दों'
के उन्मुक्त गगन में
किसी कारा मे कैद
एक 'विहंगिनी' की भांति
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