दस सर वाले रावण को बडी
शान से जलते हुए देखते हो
अपने अंदर की हवस को
लड़कियों पे बुझाते हो...-
मन में छुपे बुराईयों का हो नाश
हर स्त्री को सम्मान मिले,
हर पुरुष में मर्यादा पुरुषोत्तम राम दिखे
बस कुछ ऐसी है इस दशहरे हमारी आश...
***विजयादशमी की ढेर सारी शुभकामनाएं ***-
पुतले वाले रावण ही सिर्फ़ नहीं जलाइये
आज़ जिंदा रावण भी बहुत पड़े हैं,
मेघनाथ निर्दोष और कुंभकर्ण
मदहोशी है
तमाशा देखने वाले हम
इनसे ज्यादा दोषी है
अनाचार, अत्याचार में घिरी है नारी
बदल डालिए सभी रिवाज पुराने, सोच घटिया
जो घर घर में अड़े हैं,
पुतले वाले रावण ही सिर्फ़ नहीं जलाइये
आज़ जिंदा रावण भी बहुत पड़े हैं..
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मेरे समाज में अच्छाई का कुछ ऐसा ढोंग रचाया जाता है
बलात्कारियों को रिहा करके हर साल रावण जलाया जाता है-
फ़ख़्र महसूस करेंगे कर रावण का दहन,
पाप का अंत होगा कब तक चलेगा ये वहम।
आजकल चारों ओर जीते जागते जो रावण हैं,
इनके आगे फ़ीके महिषासुर जैसे दानव हैं।
ख़ुद के पापों का दहन नहीं कर उसे संरक्षण देते हैं,
फ़िर भी बात-बात पर जय श्री राम बड़े गर्व से कहते हैं।
मासूम बच्चियों के जिस्म को बड़ी बेरहमी से खरोचतें हैं,
दुनिया के सामने फिर सद्चरित्र का चोला ओढ़ घूमते हैं।
जिधर देखो उधर भ्रष्टाचार व आतंक का साया हैं,
फिर भी उस रावण के दहन की हिम्मत कहाँ से तू लाया हैं।
ऐसे कलयुगी रावणों का संहार करने कौन आयेगा,
कब इस धरा का उद्धार हो राम राज्य बन पायेगा।-
हर चौराहे पर,
खड़ा रावण !
अपने सामने,
खड़े राम पर !
लगा कर ठहाके,
हँसता है !
ख़ुद के अंदर,
का रावण !
राम का नहीं,
मरता है !
औऱ गली गली,
मुझको फूंकने को,
बना राम सा वो,
फिरता है !!-
मेरे पत्थर राम
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मेरे पत्थर राम !
तुम्हें पाने का रास्ता शिव है !
तुम्हें पाने का रास्ता सबरी है !
तुम्हें पाने का रास्ता निषाद है !
इन सब के गुण मुझ में अपवाद हैं !!
हां, मुझ में रावण के गुण कूट-कूट कर भरे हैं !
मैं उसी जैसा दंभ-भरा शिव भक्त हूं।
आज मैं तुम्हें पा लूंगा!
आज मेरा दहन और उद्धार होगा !!
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