मै चाय लिखूं...तुम मेडिकल चौराहा समझना!
मै भीड़ लिखूं...तुम कटरा और चौक समझना!
मै मन की शांति लिखूं...तुम गंगा घाट समझना!
मै सुकून लिखूं...तुम यमुना घाट समझना!
मै जिंदगी लिखूं...तुम संगम स्नान समझना!
मै इश्क लिखूं...तुम प्रयागराज समझना!-
❣️दिल में तेरे संगम सा एक राज हो जाऊं..
❣️हर शाम तेरे इश्क में प्रयागराज हो जाऊं..-
तुम तो कहती थीं मुझसे बिछड़कर मर जाउंगी
फिर ये अजूबा कैसे है कि तुम ज़िन्दा हो अब तक !!
और यहाँ अब तो हाल भी बयां होता नहीं किसी से
देखो मैं कैसे तुमसे बिछड़कर शर्मिदा हूँ अब तक !!
मेरा शहर छुटा,गावँ छुटा और छुटा मेरा घर फिर भी
मैं तेरी यादों,खाव्बों,ख़यालों का बाशिंदा हूँ अब तक !!-
मै BHS की तरह तन्हा
निहारूं मै GHS को कब तक
कोई गंगा सी पावन मिले तो
मै प्रयागराज हो जाऊं-
मेरे अपने शहर में तो बस मेरा पहचान पत्र बना था
पहचान बनाने के लिये मुझे शहर छोड़ना पड़ा था
"UP-70 और UP-32 में कहीं उलझी गई है ज़िन्दगी"-
क्या-क्या ज़ुल्म किए हैं तुमने कैसे मैं तुम को बतलाऊँ
जगा हूँ कितनी तन्हा रातें ये कैसे मैं तुम को बतलाऊँ !!
सुन कहानियां मैं 'जॉन' की कैसे बहलाया हूँ मैं ख़ुद को
तुम क्या जानो जानेमन और कैसे मैं तुम को बतलाऊँ !!-
इलाहाबाद कहूं या प्रयागराज कहूं
हो तो तुम मेरे दिल में
हम नहीं अब तुम्हारे
पर तुम आज भी हो मेरी महफिल में।।-
तेरे साथ फिर से मैं होना चाहता हूँ
तेरी यादों के साथ मैं सोना चाहता हूँ!!
दिन जैसे भी गुज़रे कोई बात नहीं मगर
रातों को तेरे हिज्र में मैं रोना चाहता हूँ !!
जब भी मिलूं तुम से पहले की तरह मिलूं
लगा सीने से तुझे मैं ख़ूब रोना चाहता हूँ !!
लाख दुश्मनी हो ज़माने से मेरी मग़र मैं
दुनिया में इश्क़ के बीज बोना चाहता हूँ !!-
आसान नहीं हैं किसी के इश्क में खो जाना,
खुद को मिटाकर, इलाहाबाद से प्रयागराज हो जाना.
(Caption मे पढ़े👇)
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बरकरार है संघर्ष अभी,
जमीन के भीतर नमी भी बरकरार है;
बरकरार है पत्थर के भीतर आग,
और
जीवन के जड़ो में सांस भी बरकरार है;
बरकरार है जीवन अभी,
और
लहू भी बरकरार है;
लड़ता रहूँगा तब तक,
जब तक उस मंज़िल की राह बरकार है,
बरकरार है हम सब अभी,
जब तक कृषि छात्र संघ की एकता बरकरार हैं।
ज़िंदगी एक सफ़र
इ० शुभम ओझा
कृषि शोध छात्र एवं
प्रदेश संगठन मंत्री कृषि छात्र संघ
पश्चिमी प्रदेश
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